मोज लगा दी रे | प्रभु की कृपा से जीवन में आया अनंत आनंद

मोज लगा दी रे | प्रभु की कृपा से जीवन में आया अनंत आनंद

“मोज लगा दी रे” यह वाक्य भक्त के हर्षित हृदय की अभिव्यक्ति है। जब प्रभु की कृपा जीवन में उतरती है, तब हर चिंता मिट जाती है और मन में केवल आनंद का सागर उमड़ पड़ता है। यह भाव दर्शाता है कि भक्ति केवल प्रार्थना नहीं, बल्कि प्रेम, समर्पण और आनंद का उत्सव है। जब ईश्वर हमें अपने सान्निध्य का अनुभव कराते हैं, तो जीवन की हर कठिनाई भी मधुर लगने लगती है। यह भक्ति भाव हमें सिखाता है कि सच्ची मोज बाहरी नहीं, भीतर के शांति और ईश्वर के प्रेम से आती है।

rajeshswari

आज खुशी ना मन मैं समावै,
म्हारो मन डो नाचै गावै,
दुखां री काली छाया म्हारे घर सु हटा दी रे,
किरपा कर दी बाबो घर मैं मोज लगा दी रे ,

घर घर जागै बानटू मिठाई,
सगला सु मैं तो लेउ बधाई,
म्हारे आँगनीय मैं किलकारि गुंजा दी रे,
किरपा कर दि बाबो घर मैं मोज लगा दी रे,

आज खुशी सु पागल ना हो जाऊँ ,
घनो घनो बाप जी रो सुकर मनाऊ,
जितेजी बाबो म्हाने आ खुशी दिखा दी रे,
किरपा कर दि बाबो घर मैं मोज लगा दी रे,

पुरो परिवार लेर रूणिचे जाऊँ,
हर साल घरे जमो जगाउ,
“आदिवाल” परिवार री बाबो बेल बडा दी रे,
किरपा कर दि बाबो घर मैं मोज लगा दी रे,

भाव से पूजन या स्मरण विधि

  1. दिन: रविवार या अपने आराध्य देव का विशेष दिन चुनें।
  2. स्थान: घर के मंदिर या स्वच्छ शांत स्थान पर दीपक जलाएँ।
  3. सामग्री: फूल, अगरबत्ती, दीपक, चंदन, और प्रसाद रखें।
  4. प्रारंभ: अपने इष्ट देव का मंत्र 11 बार जपें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ नमः शिवाय।”
  5. पूजन: ईश्वर को फूल अर्पित करते हुए कहें — “हे प्रभु, आपकी कृपा ने मेरे जीवन में मोज लगा दी रे।”
  6. आरती करें: श्रद्धा और संगीत के साथ आरती करें, मन में आनंद का अनुभव करें।
  7. समापन: प्रसाद ग्रहण करें और ईश्वर को हृदय से धन्यवाद दें।
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भाव से मिलने वाले लाभ

  • मन की उदासी और तनाव दूर होकर आनंद की अनुभूति होती है।
  • जीवन में नई ऊर्जा, उत्साह और सकारात्मकता का संचार होता है।
  • ईश्वर पर गहरा विश्वास और आत्मिक संतोष प्राप्त होता है।
  • भक्ति के मार्ग पर स्थिरता और प्रेम की गहराई बढ़ती है।
  • परिवार और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

“मोज लगा दी रे” केवल एक कहावत नहीं, बल्कि वह भाव है जो तब जन्म लेता है जब भक्त को ईश्वर का सान्निध्य महसूस होता है। जब प्रभु कृपा बरसाते हैं, तो जीवन के हर रंग में संगीत घुल जाता है और हर सांस में आनंद बस जाता है। यह भावना हमें सिखाती है कि भक्ति में केवल माँगना नहीं, बल्कि ईश्वर की उपस्थिति में नाचना और मुस्कुराना भी शामिल है। जब मन ईश्वर की लय में झूमता है, तब सारा संसार भी “मोज” में डूब जाता है।

Shiv murti

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