हे सूर्य पुत्र शनिदेव, हमें रखना करूणा की छाँव में

हे सूर्य पुत्र शनिदेव, हमें रखना करूणा की छाँव में

“हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमें रखना करूणा की छाँव में” यह वाक्य उस गहन भावना को व्यक्त करता है जिसमें भक्त भगवान शनिदेव से दया और सुरक्षा की प्रार्थना करता है। शनिदेव, जो सूर्यदेव के पुत्र और न्याय के देवता हैं, वे अपने भक्तों के जीवन में संतुलन, सत्य और दृढ़ता का संचार करते हैं। जब कोई सच्चे मन से शनिदेव को पुकारता है, तो वे उसकी कठिनाइयों को कम करते हैं और कर्मों के अनुसार उसे सही दिशा दिखाते हैं। यह प्रार्थना केवल भय से नहीं, बल्कि श्रद्धा और भरोसे से की जाती है क्योंकि शनिदेव ही हैं जो हमें हमारे कर्मों का बोध कराते हैं और जीवन को अनुशासन से जोड़ते हैं।

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हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमें,
रखना करूणा की छाँव में,
काँटा भी ना चूभने देना कभी,
कष्टों का हमारे पाँवो में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छाँव में……

हमको ना कभी परखना तुम,
प्रभु द्रष्टि दया की रखना तुम,
जग सागर पार करा देना,
बैठा के सुखो की नावों में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छाँव में…….

सब आपके है कोई गैर नहीं,
तुम रखते किसी से बैर नहीं,
प्रभु आप के नाम का डंका तो,
बजता है सभी दिशाओ में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छाँव में…….

शुभ चरण जब आप आते हो,
मन भक्त का जित के जाते हो,
वो रुकना सके बुलाते है,
जिसे आप शिगनापुर गाँव में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छाँव में……

हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमें,
रखना करूणा की छाँव में,
काँटा भी ना चूभने देना कभी,
कष्टों का हमारे पाँवो में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छाँव में……

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भावना से पूजन की विधि

  1. दिन: शनिवार का दिन पूजन हेतु सबसे शुभ होता है।
  2. तैयारी: स्नान कर काले या नीले वस्त्र धारण करें।
  3. स्थान: पीपल वृक्ष के नीचे या घर के पूजा स्थान में शनिदेव का चित्र रखें।
  4. दीपक जलाएँ: सरसों के तेल का दीपक जलाकर उसमें सात बत्तियाँ लगाएँ।
  5. प्रार्थना करें: हाथ जोड़कर कहें — “हे सूर्य पुत्र शनिदेव, हमें रखना करूणा की छाँव में, हमारे कर्म सुधार दो।”
  6. मंत्र जप करें: “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जप करें।
  7. दान और सेवा: गरीबों को तेल, काला तिल या वस्त्र दान करें — यह शनि कृपा प्राप्त करने का सर्वोत्तम मार्ग है।

शनिदेव की करूणा से मिलने वाले शुभ फल

  • मन में धैर्य, संयम और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
  • कठिन परिस्थितियाँ धीरे-धीरे सरल होने लगती हैं।
  • कर्मों में सुधार आता है और जीवन में न्याय का संतुलन स्थापित होता है।
  • शनिदेव की कृपा से भय, बाधा और शत्रुता से रक्षा होती है।
  • सच्चे मन से प्रार्थना करने पर आर्थिक व मानसिक शांति प्राप्त होती है।

निष्कर्ष

“हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमें रखना करूणा की छाँव में” केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि समर्पण का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाती है कि शनिदेव दंड देने के लिए नहीं, बल्कि सुधार और रक्षा के लिए आते हैं। जब हम सच्चे मन से अपने कर्मों का बोध करते हैं और ईमानदारी से जीवन जीते हैं, तब शनिदेव अपनी दया की छाँव में हमें सदा सुरक्षित रखते हैं। उनकी कृपा से जीवन में सत्य, संयम और सुख का प्रकाश बना रहता है।

Shiv murti

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