जय जय हे शनि राज देव | न्याय, संयम और कर्मफल के देवता

जय जय हे शनि राज देव | न्याय, संयम और कर्मफल के देवता

“जय जय हे शनि राज देव” — यह पंक्ति शनिदेव की उस दिव्य सत्ता को नमन करती है, जो संसार के हर जीव को उसके कर्मों का सटीक फल प्रदान करते हैं। शनिदेव न केवल भय या दंड के देवता हैं, बल्कि वे सच्चे कर्म और धर्म के रक्षक भी हैं। उनका आशीर्वाद पाने के लिए सच्चाई, धैर्य और निष्ठा जरूरी है। शनिदेव की कृपा से व्यक्ति अपने जीवन के संकटों से उभरता है और सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा पाता है। इस पंक्ति का स्मरण हमें यह सिखाता है कि धर्म, संयम और सच्चे कर्म का फल हमेशा कल्याणकारी होता है।

rajeshswari

जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार॥

जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार……

नीलवर्ण की छवि तुम्हारी,
ग्रहमंडल का तू बलिहारी,
नीलवर्ण की छवि तुम्हारी,
ग्रहमंडल का तू बलिहारी,
तेरे चरण में शरणागत है देवलोक संसार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार॥

जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार……

उग्र मंगला माहा प्रतापी,
तामस मूर्ति तू माहा कोपि,
उग्र मंगला माहा प्रतापी,
तामस मूर्ति तू माहा कोपि,
तेजोमय तू सूर्य पुत्र है धन्य तेरा अवतार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार॥

इसे भी पढ़े   मंगल मूर्ति रूप लेकर गणपति जी आ गए

जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार……

क्रोध तुम्हारा विनाशकारी,
दया कृपा हो तारणहारी,
क्रोध तुम्हारा विनाशकारी,
दया कृपा हो तारणहारी,
एक ही याचना एक ही प्रार्थना तू ही करे उद्धार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार॥

जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार,
तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार,
जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार……….

भाव से पूजा विधि

  1. दिन और समय: शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: घर या मंदिर में शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
  3. पूजन सामग्री: तिल का तेल, काली उड़द, नीला या काला पुष्प, और लोहा अर्पित करें।
  4. प्रारंभ: तीन बार “जय जय हे शनि राज देव” कहें और शनिदेव का ध्यान करें।
  5. मंत्र जप:
    • ॐ शं शनैश्चराय नमः — इस मंत्र का 11, 21 या 108 बार जप करें।
  6. भावना रखें: मन में यह भावना रखें कि शनिदेव आपके कर्मों को संतुलित कर रहे हैं और आपके जीवन में न्याय और स्थिरता ला रहे हैं।
  7. समापन: अंत में प्रार्थना करें — “हे शनिदेव महाराज, मुझे सदैव सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दें।”
इसे भी पढ़े   डम डम डमरू बाजे, नाच रहे गण सारे

शनिदेव की उपासना के लाभ

  • कर्मों का संतुलन: नकारात्मक कर्मों का प्रभाव कम होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • संकटों से मुक्ति: जीवन की बाधाएँ और कष्ट शनिदेव की कृपा से समाप्त होते हैं।
  • धैर्य और संयम: व्यक्ति में मानसिक स्थिरता और सहनशीलता बढ़ती है।
  • भय का नाश: ग्रहदोष, विशेषकर शनि दोष का प्रभाव कम होता है।
  • जीवन में सफलता: कार्यों में अड़चनें दूर होकर प्रगति और समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

“जय जय हे शनि राज देव” — यह केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि एक आस्था है जो हमें सच्चे कर्म और न्याय का महत्व समझाती है। जब हम शनिदेव को श्रद्धा से प्रणाम करते हैं, तो वे न केवल हमारे दोष दूर करते हैं, बल्कि हमें सही राह पर चलने की प्रेरणा भी देते हैं। शनिदेव की कृपा से जीवन में संतुलन, धैर्य और आत्मविश्वास आता है। जो व्यक्ति विनम्रता से शनिदेव को नमन करता है, उसके जीवन में कठिनाइयाँ अवसरों में बदल जाती हैं और न्याय का प्रकाश सदैव उसके साथ रहता है।

Shiv murti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *