कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी

“कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी” — यह पंक्ति राधा-कृष्ण के शाश्वत प्रेम की उस छवि को प्रकट करती है जिसमें भाव, भक्ति और प्रेम की वर्षा एक साथ होती है। जब कृष्ण अपने कान्हा रूप में रास रचाते हैं, तो बरसाने की गोरी राधा अपनी कोमल मुस्कान और प्रेम से पूरे ब्रज को आलोकित कर देती हैं। यह भाव केवल प्रेम का नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। इसमें भक्ति की वह गहराई है जो मन को भावविभोर कर देती है और हृदय को ईश्वरीय प्रेम से भर देती है।

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कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2
बरसाने वाली गोरी हमारी राधा गोरी…………2
नंद को कन्हिया वृषभान की किशोरी……….2
कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2

1 ) कान्हा जी की बन्सी करे दिल घायल………2
मस्ती बिखेरे बजा के राधा पायल…………..2
मोहन प्यारे रसिया , राधा गन्ने की पोरी………2
कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2

2 ) ग्यालो को संग लेके आये हैं बिहारी……..2
गोपियों के बीच सुहाए राधा प्यारी………..2
चंदा मेरो कान्हा और राधा है चकोरी…………2
कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2

3 ) यमुना किनारे कभी रास रचावे……….2
खेलन को प्यारी संग बरसाने आवे………….2
छलिया है कन्हिया और लाडली जी भोरी……….2
कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2

4 ) राधा जी है मिश्री और माखन मुरारी………2
श्यामा जी है हाथ और कंगन गिरधारी…………2
भूलन त्यागी बृज में मचावे दोनों होरी…………….2
कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2

बरसाने वाली गोरी हमारी राधा गोरी…………2
नंद को कन्हिया वृषभान की किशोरी……….2
कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी…………..2

भाव से भक्ति करने की विधि

  1. दिन और समय: शुक्रवार या पूर्णिमा का दिन श्रेष्ठ माना जाता है।
  2. स्थान: श्रीराधा-कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ।
  3. सामग्री: गुलाल, फूल, तुलसीदल, मक्खन-मिश्री, और शुद्ध जल अर्पित करें।
  4. प्रारंभ: “राधे राधे” का नाम लेकर मन को शांत करें।
  5. भजन या जप: “कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी” भजन को मधुर भाव से गाएँ।
  6. भावना रखें: अपने मन में राधा-कृष्ण की झलक का स्मरण करें — जैसे राधा बरसाने की गलियों में कान्हा पर प्रेमवर्षा कर रही हों।
  7. समापन: अंत में प्रार्थना करें — “हे राधे-कृष्ण, मेरे जीवन में भी वही पवित्र प्रेम और भक्ति की वर्षा बरसाइए।”
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इस भक्ति से मिलने वाले लाभ

  • प्रेम का शुद्ध रूप: राधा-कृष्ण के प्रेम से मन में निष्काम प्रेम की भावना आती है।
  • मन की शांति और आनंद: भक्ति से मन शांत और हृदय प्रसन्न रहता है।
  • संबंधों में मिठास: यह भक्ति सच्चे प्रेम, विश्वास और अपनत्व का संदेश देती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आत्मा को ईश्वरीय प्रेम से जुड़ने का अनुभव होता है।
  • सौभाग्य और कृपा: राधा-कृष्ण की कृपा से घर-परिवार में सुख और समृद्धि आती है।

निष्कर्ष

“कान्हा कारो कारो बरसाने वाली गोरी” — यह पंक्ति केवल भक्ति नहीं, बल्कि प्रेम की गीता है। राधा-कृष्ण का यह अलौकिक प्रेम हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम ईश्वर की भक्ति में ही पूर्णता पाता है। जब हम इस भाव में डूब जाते हैं, तो हर क्षण जीवन मधुर बन जाता है। बरसाने की गोरी राधा और कान्हा की रासलीला हमें यह एहसास कराती है कि प्रेम की यह वर्षा कभी थमती नहीं — बस मन को खोलना होता है ताकि वह कृपा की फुहारें सहेज सके।

Shiv murti

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