अवतार लियो नंदलाल, नंद भवन बधाई बाज रही
“अवतार लियो नंदलाल, नंद भवन बधाई बाज रही” — यह पंक्ति श्रीकृष्ण जन्म के उस पावन क्षण की अनुभूति कराती है, जब सृष्टि में आनंद की लहर दौड़ गई थी। नंद बाबा के आँगन में स्वयं साक्षात परमात्मा बाल रूप में अवतरित हुए, और सम्पूर्ण ब्रजभूमि में उल्लास छा गया। यह पंक्ति हमें यह सिखाती है कि जब ईश्वर का प्रेम धरती पर उतरता है, तब हर दुःख मिट जाता है और भक्ति का मधुर प्रकाश फैल जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम, करुणा और धर्म की स्थापना का प्रतीक है।

नंदभवन में आनंद छाया है,
नंदघर नंदलाला आया है नंद हो गए मालामाल,
नंदभवन बधाई……
नभ देवता मंगलाचार करें,
ब्रजवासी जय जयकार करें रंग रस बरसे गुलाल,
नंदभवन बधाई…..
बड़ा शोना श्याम सलोना है,
मनमोहन रूप खिलौना है बड़ा सुंदर लड्डू गोपाल,
नंदभवन बधाई—
हरि दरस “मधुप” हरि पावत है,
सब नाचत झूमत गावत है पलना झूलत ब्रजलाल,
नंदभवन बधाई…….नंदभवन में आनंद छाया है,
नंदघर नंदलाला आया है नंद हो गए मालामाल,
नंदभवन बधाई……
नभ देवता मंगलाचार करें,
ब्रजवासी जय जयकार करें रंग रस बरसे गुलाल,
नंदभवन बधाई…..
बड़ा शोना श्याम सलोना है,
मनमोहन रूप खिलौना है बड़ा सुंदर लड्डू गोपाल,
नंदभवन बधाई—
हरि दरस “मधुप” हरि पावत है,
सब नाचत झूमत गावत है पलना झूलत ब्रजलाल,
नंदभवन बधाई…….
भाव से भक्ति करने की विधि
- समय: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या हर बुधवार का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
- स्थान: अपने घर के मंदिर या किसी शांत स्थान को पुष्पों और दीपों से सजाएँ।
- सामग्री: तुलसीदल, मक्खन, मिश्री, फूल और पवित्र जल तैयार रखें।
- प्रारंभ: श्रीकृष्ण का ध्यान करें और यह पंक्ति श्रद्धा से बोलें —
“अवतार लियो नंदलाल, नंद भवन बधाई बाज रही।” - भावना रखें: मन में यह चित्र बनाएं कि नंद भवन में बधाई बज रही है, और बाल गोपाल झूले में विराजमान हैं।
- समापन: आरती करें, नैवेद्य अर्पित करें और ईश्वर से अपने जीवन में आनंद, प्रेम और शांति की कामना करें।
इस भक्ति भाव से मिलने वाले लाभ
- मन में आनंद और पवित्रता आती है: श्रीकृष्ण जन्म का स्मरण आत्मा को प्रसन्न करता है।
- घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है: प्रेम और उत्सव का वातावरण बनता है।
- संतान-सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है: बाल गोपाल की कृपा से जीवन में समृद्धि आती है।
- भक्ति और श्रद्धा का भाव बढ़ता है: श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और निकटता महसूस होती है।
- मानसिक शांति और संतोष: कन्हैया की मधुर छवि हर चिंता को मिटा देती है।
निष्कर्ष
“अवतार लियो नंदलाल, नंद भवन बधाई बाज रही” — यह केवल एक भक्ति गीत की पंक्ति नहीं, बल्कि वह दिव्य क्षण है जब प्रेम और आनंद का सागर धरती पर उमड़ पड़ा। श्रीकृष्ण का जन्म मानवता के लिए नया सवेरा लेकर आया, जहाँ भक्ति, करुणा और धर्म की ज्योति जल उठी। जब हम इस भाव से उनका स्मरण करते हैं, तो हमारा हृदय भी आनंद और श्रद्धा से भर उठता है। नंदलाल की मुस्कान जीवन के हर अंधेरे को प्रकाश में बदल देती है — यही उनकी लीला का सबसे सुंदर उपहार है।

