प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान | संकटमोचन, साहस और अटूट विश्वास

प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान | संकटमोचन, साहस और अटूट विश्वास

“प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान” — यह पंक्ति उस भाव को प्रकट करती है जब भक्त संकट, भय या कठिनाई में अपने वीर रक्षक हनुमान जी को बुलाता है। हनुमान जी केवल शक्ति के प्रतीक नहीं, बल्कि संकटमोचन और अपने भक्तों के सच्चे साथी हैं। इस भक्ति में भक्त का मन और आत्मा पूर्ण विश्वास से भर जाता है कि उनके साहस और कृपा से हर संकट दूर होगा। इस भाव को बोलते ही भक्त को अपने हनुमान जी के समीप होने का अनुभव होता है।

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संकट ने घेरा है तुझे आज तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान भाई की मूरछा को तोड़ के,
प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान….

पापी ने धोखे से शक्ति को दे मारा,
मूर्छित पड़ा देखो कैसे ये बेचारा,
मेरी लाज तू आकर बचा तेरा राम पुकारे रै,
प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान….

माता को जाकर के मैं क्या बताऊंगा,
दुनियां को अब कैसे मुखड़ा दिखाउंगा,
अब आँख में आंसू लिए तेरा राम पुकारे रै,
प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान….

सूरज के उगने से पहले चले आना,
वरना मुझे भी तू जिन्दा नहीं पाना,
भाई का गम कैसे सहुँ तेरा राम पुकारे रै,
प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान….

तेरे राम को जब भी दुखड़ों ने घेरा है,
आकर के तूने ही गम से उबारा है,
अब भक्त क्यूँ देरी करे तेरा राम पुकारे रै,
प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान….

संकट ने घेरा है तुझे आज तेरा राम पुकारे रे,
आजा मेरे हनुमान भाई की मूरछा को तोड़ के,
प्राण बचा ले रे प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान….

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विधि

  1. समय: मंगलवार या शनिवार सबसे शुभ माना जाता है।
  2. स्थान: हनुमान जी के मंदिर या घर के मंदिर में दीपक और धूप जलाएँ।
  3. सामग्री: लाल फूल, सिंदूर, गुड़-चना, दीपक।
  4. प्रारंभ: “जय बजरंगबली” बोलकर मन को शांत करें।
  5. भक्ति:
    भावपूर्वक इस पंक्ति का जप करें —
    “प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान।”
    साथ में हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  6. समापन: हाथ जोड़कर प्रार्थना करें —
    “हे वीर हनुमान, मुझे संकट और भय से मुक्त कर मेरी रक्षा करें।”

हनुमान भक्ति के लाभ

  • संकट और भय से मुक्ति मिलती है।
  • मन में साहस और आत्मविश्वास आता है।
  • रुके हुए कार्य बनते हैं और जीवन में सुरक्षा आती है।
  • मन और आत्मा में स्थिरता और शांति आती है।
  • हनुमान जी की कृपा जीवन में हमेशा बनी रहती है।

निष्कर्ष

“प्राण बचा ले रे आजा मेरे हनुमान” — यह पंक्ति भक्त की पुकार और पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। जब हम हनुमान जी को इस भाव से याद करते हैं, तो वे तुरंत ही संकटमोचन बनकर हमारे पास आते हैं। उनकी कृपा से जीवन की हर कठिनाई आसान हो जाती है और मन में शक्ति और शांति का संचार होता है। हनुमान जी के प्रति ऐसा विश्वास ही हमें हर संकट में सुरक्षित और निर्भीक बनाता है।

Shiv murti

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