मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली
“मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली” — यह पंक्ति उस भाव को दर्शाती है जब कोई भक्त माता के मंदिर में पहुँचकर वहां की दिव्य शांति और भव्यता को महसूस करता है। माँ के मंदिर का वातावरण केवल सुंदरता ही नहीं देता, बल्कि आत्मा को सुकून और मन को विश्वास से भर देता है। वहाँ जाते ही ऐसा लगता है जैसे माँ अपने भक्तों को अपनी गोद में समेट लेती है। यह पंक्ति माँ के दरबार की अनोखी महिमा और उनके प्रेमपूर्ण स्वागत का वर्णन करती है।

मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली,
तू ही दुर्गे तू ही काली, तू ही शेरो वाली……
जो मईया तेरे दर पे आवे, खाली ना वो जावे,
मन में इक उम्मीद लिए मां द्वार तुम्हारे आवे,
ज्योत जलावे गुण तेरे गावे, मां भरदे झोली खाली,
मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली……..
मां मुझे इक लाल तू देदे,
भरती फिरू तवाई, सास ननद री मेरी मईया मैं तो बांझ बताई,
दर दर की मैने ठोकर खाई, मां तुमसे आस लगाई,
मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली……..
तू ही मंशा तू ही चंडी शाकुंबरी कहलाई,
तेरे नाम की महिमा मईया वेदों में बतलाई,
अकबर बादशाह ने मईया तेरी ज्योत जलाई,
मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली……..
सब भगतो के कष्ट हरो मां तेरा ध्यान लगावे,
गढ़ी सबलू का अजब बैसला द्वार तुम्हारे आवे,
जोत जलावे गुण तेरे गावे, मां दिल में तू ही बसाई,
मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली……..
भक्ति-विधि
- समय: सुबह, संध्या या नवरात्रि के दिन विशेष शुभ माने जाते हैं।
- स्थान: घर का मंदिर या माँ की तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ।
- सामग्री: चावल, फूल, चुनरी, धूप, दीपक, नारियल और मिठाई।
- प्रारंभ: तीन बार “जय माता दी” बोलकर मन को शांत करें।
- भक्ति:
भावपूर्वक यह पंक्ति बोलें —
“मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली।”
चाहें तो माँ की आरती, चालीसा या मंत्र पाठ करें। - समापन: माँ से प्रार्थना करें —
“हे मईया, मुझे हमेशा अपने आशीर्वाद और संरक्षण में रखना।”
माँ की भक्ति से मिलने वाले लाभ
- मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
- नकारात्मक विचार और भय कम होते हैं।
- बाधाएँ दूर होती हैं और कामों में सफलता मिलती है।
- माँ की आशीष से मन में विश्वास और संतुलन बढ़ता है।
निष्कर्ष
“मईया जी तेरे मंदिर की देखी शान निराली” — यह पंक्ति माँ के दरबार की भव्यता और उनके प्रेम की शक्ति का सजीव चित्रण है। जब भक्त माँ के मंदिर में कदम रखता है, तो उसे दिव्यता, सुरक्षा और अपनापन महसूस होता है। माँ का दरबार हर दुःख को हल्का कर देता है और मन में आशा और शांति भर देता है। सच में, माँ के मंदिर की शान निराली है क्योंकि वहाँ प्रेम, कृपा और आशीर्वाद की वर्षा बिना रुके होती रहती है।

