सौंन दा महीना आया | माँ-बाबा की कृपा का पावन समय
“सौंन दा महीना आया” — यह पंक्ति सावन के उस सुंदर मौसम की याद दिलाती है जिसे हर भक्त प्रेम और भक्ति के साथ मनाता है। इस महीने में वातावरण में एक खास तरह की ताजगी, हरियाली और सकारात्मक ऊर्जा होती है। मंदिरों में घंटों की ध्वनि, घरों में पूजा का माहौल और दिल में उमंग — यह सब सावन को बेहद पवित्र बनाता है। सावन भगवान शिव और माता की आराधना का श्रेष्ठ समय माना जाता है, जब भक्ति से किए गए हर कार्य का फल कई गुना बढ़ जाता है। यह मौसम केवल बाहर ही नहीं, मन के भीतर भी नई रोशनी और शांति लाता है।

सौंन दा महीना आया, शगन मनाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे, मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया…….
कच्चे पक्के भांडे वांगु, ऐंवे सानू फ़ोल ना,
बच्चा हां मैं तेरा मैनु समझी कोई होर ना,
गल पाके पल्ला झल्ला लोका तो कहाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे, मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया…….
लुक लै तू जिथो तक भगता तो लुकना,
मेहरावाली हनेरी नू ही पैना माये झुकना,
सुन गला मेरिया मैं सच्चियाँ सुनाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे, मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया…….
खुल खुल खाँदा माये दुःख एह जुदाई दा,
फेरे उत्ते फेरा ताहियो तेरे वल पाईंदा,
कर मंजूर मैनु वास्ते मैं पाउँदा हां,
नंगे नंगे पैरी तेरे, मंदिरा नू आउंदा हां,
सौंन दा महीना आया…….
सावन में भक्ति करने की विधि
- समय: सावन के सोमवार और शुक्रवार अत्यंत शुभ होते हैं।
- स्थान: घर के मंदिर या शिवालय में दीपक जलाएँ।
- सामग्री: बेलपत्र, जल, दूध, फूल, भगवा वस्त्र, धूप–दीपक।
- प्रारंभ: तीन बार “ओम नमः शिवाय” या “जय माता दी” बोलकर मन को शांत करें।
- भक्ति:
भक्ति भाव से बोलें —
“सौंन दा महीना आया…”
इसके बाद भगवान शिव की पूजा, रुद्राभिषेक या माता की आराधना करें। - समापन: अपनी मनोकामना माँ-बाबा के सामने रखें और शांति की प्रार्थना करें।
भक्ति से लाभ
- मन को गहरी शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- घर में समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद आता है।
- संबंधों में प्रेम और समझ बढ़ती है।
- मनोकामनाएँ पूरी होने की संभावना बढ़ती है।
- भक्ति से मानसिक तनाव और नकारात्मकता दूर होती है।
निष्कर्ष
“सौंन दा महीना आया” — यह पंक्ति केवल मौसम का वर्णन नहीं, बल्कि एक पवित्र भावना और नई शुरुआत का संकेत है। सावन का यह महीना हमारे मन को भक्ति, प्रेम और शांति की राह दिखाता है। इस समय की गई हर साधना का फल कई गुना बढ़कर मिलता है और जीवन में नई रोशनी फैलती है। सच में, सावन केवल वर्षा का समय नहीं, बल्कि ईश्वर के प्रेम और कृपा से भरा एक दिव्य अवसर है, जिसे हर भक्त पूरे दिल से अपनाता है।

