जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता

जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता

“जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता” — यह पंक्ति भक्त के उस अटूट विश्वास को दर्शाती है कि संसार में जो भी सुख, सफलता और मनोकामना पूरी होती है, वह सब ईश्वर की कृपा से ही संभव है। यह वाक्य हमें विनम्रता और कृतज्ञता का भाव सिखाता है क्योंकि हम जो भी पाते हैं, वह किसी न किसी रूप में दिव्य शक्ति का दिया हुआ ही होता है। जब हृदय में यह समझ बैठ जाती है कि सृष्टि का सदैव दाता केवल ईश्वर है, तो मन में शांति, संतोष और विश्वास का एक नया प्रकाश जगमगाने लगता है। यह पंक्ति मन को समर्पण और भक्ति के सुंदर मार्ग पर ले जाती है।

rajeshswari

जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता हे शिरडी के दाता,
तेरे पास सबके नसीबो का खाता हे शिरडी के दाता,
चमकता हैं जब तक सूरज भी भाता,
रहेगा बना “स्वामी सेवक” का नाता हे शिरडी के दाता,
जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता हे शिरडी के दाता॥

हा प्यार तेरा पक्का वा सत्य भावना,
और पूरी होती भावना से मन की कामना,
कामना की पूर्ति भी तेरा ही काम है,
तेरा काम ही खुशी दे भले ना दाम हैं,
दाम हम बेकर हम तुझे दे भी तो क्या,
क्या है औकात अपनी तू ही दे बता,
तू करुणा के बादल को हर जगह है बरसाता,
ये अपनी किस्मत है की हिस्से क्या पाता,
हे शिरडी के दाता…
जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता हे शिरडी के दाता……

परमात्मा तुम आत्मा के बिच की कड़ी,
कड़ी यही तो मांगती है साधना बड़ी,
बड़ी हुई मुश्किलों से तुझसा पीर मिलता है,
मिलता है उन्हे जिन्के भाग्य लिखता है,
तू लिखता जो हाथ से वो टलता ही नहीं,
नहीं है टलता ना बदलता हमको है यकी,
तू अपने मुरीदो को दीन रात ही तकता है,
तकता हुआ उन्को तू घड़ी पल भी ना थकता है,
हे शिरडी के दाता…
जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता हे शिरडी के दाता……

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भक्ति की विधि

  1. समय: सुबह का शांत समय या संध्या अत्यंत शुभ है।
  2. स्थान: घर के मंदिर या किसी शांत स्थान पर दीपक जलाएँ।
  3. सामग्री: फूल, धूप–दीपक, जल, फल और स्वच्छ वस्त्र।
  4. प्रारंभ: तीन बार “जय माता दी” या “ओम नमः शिवाय” बोलकर मन को शांत करें।
  5. भक्ति:
    श्रद्धा से बोलें —
    “जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता…”
    इसके साथ ईश्वर का स्मरण, जप, आरती या कोई मनपसंद भजन करें।
  6. समापन: कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहें —
    “हे प्रभु, जो मिला है वह काफी है, और जो चाहिए वह भी आपसे ही मिलेगा।”

इस भाव से मिलने वाले लाभ

  • मन में संतोष और आभार की भावना बढ़ती है।
  • तनाव, बेचैनी और चिंता कम होती है।
  • जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • मनोकामनाएँ पूरी होने का विश्वास मजबूत होता है।
  • दिव्य ऊर्जा से मन, घर और जीवन में शांति आती है।

निष्कर्ष

“जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता” — यह पंक्ति हमें याद दिलाती है कि सृष्टि का सच्चा दाता केवल ईश्वर ही है। जब हम यह मान लेते हैं कि हमारी हर इच्छा, हर सफलता और हर आशीर्वाद उन्हीं की कृपा से आता है, तो जीवन सरल और सुंदर लगने लगता है। यह भाव मन में विनम्रता और शांति दोनों लाता है और हमें इस बात का भरोसा देता है कि जो भी होगा, वह ईश्वर की इच्छा और हमारे हित में ही होगा। सच में, जो भगवान पर विश्वास रखता है, उसकी हर मुराद समय पर पूरी हो जाती है।

Shiv murti

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