साई तूने शिरडी बुलाया है | साईं बाबा की कृपा, बुलावा और प्रेम का पवित्र अनुभव
“साई तूने शिरडी बुलाया है” — यह पंक्ति किसी भी भक्त के लिए सबसे बड़ी खुशी का प्रतीक है। माना जाता है कि शिरडी का बुलावा हर किसी को नहीं मिलता; जब बाबा चाहते हैं, तभी उनके दरबार में कदम रखने का अवसर मिलता है। इस पंक्ति में भक्त का वह रोमांच, कृतज्ञता और विश्वास शामिल है कि बाबा ने स्वयं उसे अपनी शरण में बुलाया है। यह एहसास मन को हल्का, आँखों को नम और आत्मा को प्रसन्न कर देता है। साईं बाबा का यह बुलावा केवल यात्रा नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव होता है।

साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
सोच रहे थे कबसे,
दर्शन को थे तरसे,
चातक नैनो के,
तेरे बिन साईराम,
तेरे बिन साईराम….
साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
सोच रहे थे कबसे,
दर्शन को थे तरसे,
चातक नैनो के,
तेरे बिन साईराम,
तेरे बिन साईराम….
चल रे जाये,
हे मनवा साई के धाम,
रट ले रट ले हे रस ने साई का नाम,
चल रे जाये,
हे मनवा साई के धाम,
रट ले रट ले हे रस ने साई का नाम,
अब एक पल भी बितायी ना जाये,
तन मन की हालत छुपाई ना जाये,
अरमां के पंछी पर जो ना होते,
उड़ कैसे पाते,
तेरे बिन साईराम,
तेरे बिन साईराम….
अब है जल्दी हमे चलना तुझे मिलने,
ना रुकना है कहीं हमको कहा दिल ने,
हो अब है जल्दी हमे चलना तुझे मिलने,
ना रुकना है कहीं हमको कहा दिल ने,
अब दाना तब तलक नहीं लेंगे,
जब तक साई की झलक नहीं लेंगे,
हम आज है जो वो तेरे कारण,
वरना क्या होता,
तेरे बिन साईराम,
तेरे बिन साईराम…..
साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
साई तूने शिरडी बुलाया है,
तब से ये मन ललचाया है,
सोच रहे थे कबसे,
दर्शन को थे तरसे,
चातक नैनो के,
तेरे बिन साईराम,
तेरे बिन साईराम….
विधि
- समय: गुरुवार बाबा का दिन माना जाता है।
- स्थान: घर में साईं बाबा की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएँ।
- सामग्री: पीले फूल, दीपक, धूप, प्रसाद और पानी।
- प्रारंभ: शांत मन से तीन बार कहें — “ॐ साई राम।”
- भक्ति:
भाव से कहें —
“साई तूने शिरडी बुलाया है…”
इसके बाद साईं चालीसा, साईं आरती या नाम जप करें। - समापन: बाबा से सुरक्षित यात्रा, मनोकामना पूर्ति और जीवन में मार्गदर्शन माँगें।
लाभ
- मन में शांति और दिव्यता का अनुभव होता है।
- आस्था मजबूत होती है और नकारात्मकता दूर जाती है।
- जीवन में सही निर्णय लेने की शक्ति मिलती है।
- बाबा की कृपा से अटके हुए काम धीरे-धीरे बनते हैं।
- आध्यात्मिकता और मानसिक संतुलन बढ़ता है।
निष्कर्ष
“साई तूने शिरडी बुलाया है” — यह पंक्ति एक भक्त की उस खुशी को व्यक्त करती है जब उसे अहसास होता है कि बाबा ने स्वयं उसे अपनी शरण में आने का आशीर्वाद दिया है। शिरडी का बुलावा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि मन, आत्मा और जीवन का नया अध्याय होता है। यह हमें सिखाता है कि जब भी बाबा बुलाते हैं, वह हमारी किसी मनोकामना, दर्द या प्रश्न का उत्तर देने के लिए बुलाते हैं। सच में, साईं बाबा के बुलावे से बड़ा सौभाग्य कोई नहीं—क्योंकि जो बाबा बुलाते हैं, उन्हें कभी खाली नहीं लौटाते।

