सुमर मनवा | मन को ईश्वर-स्मरण और शांति के मार्ग की ओर प्रेरित करना

सुमर मनवा | मन को ईश्वर-स्मरण और शांति के मार्ग की ओर प्रेरित करना

“सुमर मनवा” — यह पंक्ति मन को धीरे से पुकारती है कि वह थोड़ी देर के लिए संसार के शोर से हटकर भगवान का स्मरण करे। हमारा मन हर पल भागदौड़, चिंता और विचारों में उलझा रहता है, लेकिन स्मरण उसका भारी बोझ हल्का कर देता है। भक्ति कोई बड़ा कर्म नहीं—बस मन को शांत करके ईश्वर का नाम लेने भर में भी आत्मा को शांति मिलती है। “सुमर मनवा” हमें इसी सरल लेकिन प्रभावी मार्ग की ओर ले जाता है, जहाँ भक्ति और ध्यान गहरी मानसिक और भावनात्मक राहत देते हैं।

rajeshswari

सुमर मनवा,
सुमर मनवा,
सुमर मनवा,
सुमर मनवा, सुमर मनुवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार,
सुमर मनवा सुमर मनुवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार….

घट घट भीतर जग में निरंतर,
नाग ब्रह्म साकार,
सुन लो प्रणम की दिव्य पुकार,
सुमर मनुवा सुमर मनुवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार…..

मेरा मेरा कुछ नहीं तेरा,
छोड़ दो अहंकार,
पालो सास्वत सोख्य अपार,
सुमर मनवा सुमर मनवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार…..

तरन और फल करम भाग्य का,
समर लो बारम बार,
सुन लो धर्म चक्र झंकार,
सुमर मनवा सुमर मनवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार…..

चन्द्र कोर का चले सहारा,
करे सितारा एक आधार,
मानो श्रद्धा का ये सार,
सुमर मनवा सुमर मनवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार…..

आओ जलादो यज्ञ अग्नि में,
ये कटु विषय विकार,
कर लो देवी साक्षात्कार,
सुमर मनवा सुमर मनवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार,
सुमर मनवा सुमर मनवा,
सुमर रे पञ्च तत्त्व सुविचार…..

ये सुप एत्य का प्रेम धरम का,
सत्य शांति का द्वार,
सन्देश भव्य दे मंत्र दिव्य दे,
साई नाथ अवतार,
जय जय साई नाथ अवतार
जय जय साई नाथ अवतार…..

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मन को ईश्वर-स्मरण में लगाने की सरल विधि

  1. समय: सुबह-सवेरे या रात सोने से पहले का समय सर्वोत्तम है।
  2. स्थान: किसी शांत जगह या अपने घर के मंदिर में बैठें।
  3. प्रारंभ: तीन गहरी साँसें लें और मन को शांत होने दें।
  4. जप:
    धीरे-धीरे मन में दोहराएँ—
    “सुमर मनवा… सुमर मनवा…”
  5. ध्यान:
    अपने मन को भगवान के किसी स्वरूप, मंत्र या प्रकाश पर केंद्रित करें।
  6. समापन: ईश्वर से मन की शांति और मार्गदर्शन माँगकर सत्र पूरा करें।

भाव से मिलने वाले लाभ

  • मन तुरंत शांत और हल्का महसूस करता है।
  • तनाव, गुस्सा और चिंता कम होती है।
  • एकाग्रता और सोचने की क्षमता बढ़ती है।
  • ऐसी ऊर्जा मिलती है जो पूरे दिन सकारात्मक बनाती है।
  • ईश्वर-स्मरण से आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति विकसित होती है।

निष्कर्ष

“सुमर मनवा” — यह केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि मन को सजग करने वाली कोमल पुकार है। यह हमें याद दिलाती है कि जब भी मन थक जाए, दुखी हो जाए या उलझ जाए, तो ईश्वर-स्मरण ही उसकी सबसे बड़ी औषधि है। स्मरण से मन को दिशा, राहत और विश्वास मिलता है। सच में, जिस मन में भक्ति और शांति होती है, वह किसी भी परिस्थिति में मजबूत बना रहता है।

Shiv murti

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