सोनभद्र खनन हादसा: रेस्क्यू ऑपरेशन में अब तक 5 मजदूरों के शव बरामद, 45 घंटे से जारी बचाव कार्य
सोनभद्र (जनवार्ता)। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ओबरा थाना क्षेत्र स्थित बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में 15 नवंबर को हुए भीषण हादसे ने पूरे इलाके को हिला दिया है। कृष्णा माइनिंग वर्क्स की पत्थर खदान में ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग के दौरान अचानक पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 75 टन वजनी चट्टान) ढह गया, जिसमें 18 मजदूर दब गए। दो मजदूरों ने किसी तरह जान बचाई, लेकिन बाकी के मलबे में फंस गए। अब तक रेस्क्यू ऑपरेशन में 5 मजदूरों के शव बरामद हो चुके हैं, जबकि 12-15 मजदूर अभी भी 300-400 फीट गहरी खदान के मलबे में दबे होने की आशंका बनी हुई है।

हादसे का विवरण
हादसा शुक्रवार दोपहर करीब 3 बजे हुआ, जब खदान में 9 कंप्रेसर मशीनों पर कुल 18 मजदूर ड्रिलिंग का काम कर रहे थे। हेवी ब्लास्टिंग के बाद अचानक ऊपरी हिस्से से मलबा खिसक गया, जिससे खदान धंस गई। घटनास्थल रासपहारी पहाड़ी पर स्थित है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सभा स्थल से महज 5 किलोमीटर दूर है। हादसे के समय योगी सोनभद्र में जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। सूचना मिलते ही उन्होंने तत्काल राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
खदान में पानी भर जाने, रास्ते की कमी और भारी चट्टानों की वजह से रेस्क्यू में भारी चुनौतियां आ रही हैं। रात होने पर बड़ी लाइटें लगाकर ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन मलबा हटाने में देरी हो रही है।
रेस्क्यू ऑपरेशन की ताजा अपडेट
– मृतकों की संख्या रविवार रात और सोमवार भोर तक रेस्क्यू टीमों ने 4 शव निकाले, जिससे कुल मृतक संख्या 5 हो गई। शवों की पहचान संतोष यादव, इंद्रजीत, राजकुमार, राजू गौंड और एक अज्ञात व्यक्ति के रूप में हुई है। सभी शव जिला अस्पताल के पीएम हाउस में रखे गए हैं, जहां परिजनों को पहचान के लिए बुलाया जा रहा है।
– ऑपरेशन की अवधि: हादसे के 45 घंटे बाद भी बचाव कार्य लगातार जारी है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, सीआईएसएफ और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमें मशीनों की मदद से मलबा हटा रही हैं।
– चुनौतियां: 40-50 टन की चट्टानें और खदान की गहराई कार्य को जटिल बना रही हैं। मिर्जापुर के कमिश्नर राजेश प्रकाश ने घटनास्थल का दौरा कर ऑपरेशन की समीक्षा की।
घटनास्थल पर भारी संख्या में पुलिस और पीएसी बल तैनात हैं, ताकि भीड़ नियंत्रित रहे। पीड़ित परिवार रो-बिलख रहे हैं, और स्थानीय आदिवासी समुदाय में गुस्सा फैल रहा है।
कानूनी कार्रवाई
मृतक मजदूर राजू गौंड के भाई की शिकायत पर ओबरा थाने में खनन कंपनी के मालिक मधुसूदन सिंह (पूर्व ब्लॉक प्रमुख, घोरावल), दिलीप केशरी और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (कल्पना से मौत), 336 (खतरनाक कार्य) और 34 (साझा इरादा) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। कुल 9 पार्टनरों वाली इस खदान में एक भाजपा नेता की भी हिस्सेदारी बताई जा रही है। पट्टे की अवधि महज 7 महीने शेष होने के कारण अवैध और तेज खनन का आरोप लग रहा है। पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए कई टीमें गठित की हैं, लेकिन आरोपी फरार हैं। सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं कि खनन विभाग, एसडीएम और सुरक्षा निदेशालय पर भी मुकदमा क्यों नहीं?
प्रतिक्रियाएं और मांगें
मुख्यमंत्री योगी ने घायलों के लिए बेहतर इलाज और पीड़ित परिवारों को मुआवजे का आश्वासन दिया है। स्थानीय विधायक संजीव सिंह गौड़ (आदिवासी समुदाय से) पर चुप्पी साधने का आरोप लग रहा है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे लापरवाही का नतीजा बताते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है। एक पोस्ट में कहा गया, “आदिवासियों को जीवित रहते न्याय नहीं मिला, मरने के बाद तो न्याय कीजिए!”
यह हादसा सोनभद्र के खनन क्षेत्र की सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़ा करता है, जहां पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, और उम्मीद है कि बाकी मजदूरों को जल्द सुरक्षित निकाला जा सके। जिला प्रशासन लगातार अपडेट दे रहा है।

