अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना
“अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना” — यह पंक्ति उस गहरी आस्था को दर्शाती है जिसमें भक्त हनुमान जी को अपना संदेशवाहक मानकर प्रभु श्रीराम तक अपनी बातें पहुँचाने का निवेदन करता है। भगवान राम भक्तों के दुख, पीड़ा और मनोकामनाओं को हनुमान के माध्यम से भी सुनते हैं, यह विश्वास हमेशा से लोगों के दिलों में रहा है। इस पंक्ति में भक्ति, प्रेम, विश्वास और समर्पण का अनोखा मेल है। भक्त को भरोसा होता है कि पवनसुत हनुमान उसके दिल का हर भाव राम तक अवश्य पहुँचाएँगे। यह भाव मन को शांति और सुरक्षा का अनुभव कराता है।

अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना,
तुम्हारी लाडली सीता हुई बेहाल कह देना…..
जब से लंका में आई हूं नहीं श्रंगार कीना है,
नहीं बांधे अभी तक जो खुले हैं बाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर…..
यहां रावण सदा धमकी हमें दिन-रात देता है,
करो तलवार के टुकडे अंजनी लाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर…..
अंगूठी राम को देकर सुनाना हाल सब दिल का,
भूले हैं राम सीता को पवनसुत हाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर….
अगर कोई दोष है मेरा तो इतना है मेरे स्वामी,
प्राण ना निकले हैं तन से यह मेरा हाल कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर……
अगर एक मास के अंदर प्रभु श्री राम ना आए,
तो सीता को ना प्रभु पाए मेरी फरियाद कह देना,
अयोध्या नाथ से जाकर……
हनुमान जी के माध्यम से प्रभु राम से प्रार्थना की विधि
- समय: मंगलवार और शनिवार का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
- स्थान: हनुमान जी या श्रीराम जी की तस्वीर के सामने दीपक जलाएँ।
- प्रारंभ: गहरी साँस लेकर “जय श्रीराम” और “जय बजरंगबली” का स्मरण करें।
- जप:
भावपूर्वक कहें—
“अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना…” - प्रार्थना:
अपने मन की बात हनुमान जी को कहें, उन्हें अपना संदेश राम तक ले जाने का निवेदन करें। - समापन:
अंत में हाथ जोड़कर कहें—
“हे पवनसुत, मेरी विनती प्रभु श्रीराम तक पहुँचा देना और मुझे उनके मार्गदर्शन का आशीर्वाद दिलाना।”
इस भावना और प्रार्थना से मिलने वाले लाभ
- मन का बोझ हल्का होता है और भावनात्मक शांति मिलती है।
- राम-हनुमान की कृपा का अनुभव जीवन में बढ़ता है।
- संकटों में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- मनोकामना पूरी होने की दिशा में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
- भक्ति की शक्ति बढ़ने से जीवन में स्पष्टता और संतुलन आता है।
निष्कर्ष
“अयोध्या नाथ से जाकर पवनसुत हाल कह देना” — यह पंक्ति सिर्फ एक भक्ति भाव नहीं, बल्कि भगवान राम और हनुमान जी के प्रेम से भरे संबंध का प्रतीक है। इसमें भक्त को विश्वास होता है कि वह अकेला नहीं है—उसका संदेश, उसकी पीड़ा और उसकी प्रार्थना हनुमान जी स्वयं राम तक पहुँचाएँगे। यह विश्वास हमें मजबूत बनाता है और जीवन में भरोसे की रोशनी जगाता है। सच में, जहाँ राम और हनुमान की कृपा होती है, वहाँ कोई चिंता टिक नहीं सकती।

