लगा लो मात सीने से | माँ के स्नेह और देवी की गोद में मिलने वाली शांति का भाव

लगा लो मात सीने से | माँ के स्नेह और देवी की गोद में मिलने वाली शांति का भाव

“लगा लो मात सीने से” — यह पंक्ति उस दिव्य प्रेम का प्रतीक है जहाँ भक्त माँ से वही अपनापन माँगता है जो एक नन्हा बच्चा माँ की गोद में पाकर महसूस करता है। जीवन की थकान, दर्द और अनकहे भाव जब भारी हो जाते हैं, तब मन को बस माँ के सीने से लगने की ही आवश्यकता होती है। माँ—चाहे वह जन्म देने वाली हो या देवी—हमेशा शरण और सुरक्षा का आधार देती हैं। यह पंक्ति उसी गहरे विश्वास, प्रेम और आश्रय की अनुभूति कराती है, जहाँ भक्त चाहता है कि माँ उसे अपनी छाती से लगाकर हर दुख को दूर कर दे।

rajeshswari

लगा लो मात सीने से बरस 14 को जाते हैं,
तुम्हारी लाडली सीता साथ लक्ष्मण भी जाते हैं,
लगा लो मात सीने से…..

रोती हैं मात कौशल्या नीर आंखों से बहता है,
राजा दशरथ भी रोते हैं आज मेरे प्राण जाते हैं,
लगा लो मात सीने से…..

धन्य है केकई मैया को उन्होंने हमें वन को भेजा है,
ना हाथी है ना घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है,
लगा लो मात सीने से…..

यह भोजन क्यों बनाए हैं मात केकई को जा देना,
लिखा नहीं किस्मत में भोजन राम मां को समझाते हैं,
लगा लो मात सीने से…..

रो रही अयोध्या की प्रजा नीर आंखों से बहता है,
चले हैं वन खड़ को श्री राम प्रजा सब खड़ी घबराती है,
लगा लो मात सीने से…..

भक्ति-विधि

  1. समय: सुबह या किसी भी शांत क्षण में।
  2. स्थान: माँ दुर्गा/काली/अंबे की तस्वीर या दीपक के सामने बैठें।
  3. प्रारंभ: आँखें बंद करके गहरी साँस लें और मन को शांत करें।
  4. जप:
    भावपूर्वक कहें—
    “लगा लो मात सीने से…”
  5. ध्यान:
    कल्पना करें कि माँ आपको अपने सीने से लगा रही हैं, आपको आशीर्वाद और सुरक्षा दे रही हैं।
  6. समापन:
    उनसे कहें— “माँ, मुझे शक्ति, शांति और मार्गदर्शन प्रदान करें।”
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भक्ति से मिलने वाले लाभ

  • मानसिक शांति और भावनात्मक राहत मिलती है।
  • तनाव और अकेलापन कम होता है।
  • भक्ति से भीतर आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना जगती है।
  • माँ की कल्पना मन को प्रेम और संतुलन से भर देती है।
  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता बढ़ती है।

निष्कर्ष

“लगा लो मात सीने से” — यह पंक्ति माँ के उस दैवीय आलिंगन का अनुभव कराती है जो जीवन की सारी थकान मिटा देता है। यह हमें याद दिलाती है कि चाहे संसार कितना भी कठोर क्यों न हो, माँ की गोद हमेशा शरण देने वाली रहती है। इस भाव से मन को सुरक्षा, विश्वास और गहरा सुकून मिलता है। सच में, जब भक्त माँ को पुकारता है, तो वह उसे अपने आशीर्वाद से भर देती हैं।

Shiv murti

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