गौरी शंकर | शिव–शक्ति के एकत्व और दिव्य प्रेम का स्वरूप

गौरी शंकर | शिव–शक्ति के एकत्व और दिव्य प्रेम का स्वरूप

“गौरी शंकर” नाम स्वयं में शिव और शक्ति के अटूट मिलन का प्रतीक है। यह नाम जीवन में संतुलन, प्यार, शांति और सामंजस्य का संदेश देता है। शिव का शांत स्वरूप और माता गौरी की कोमलता—दोनों मिलकर पूर्णता का अनुभव कराते हैं। यह वही ऊर्जा है जो संसार को चलाती है और जीवन में स्थिरता प्रदान करती है। गौरी–शंकर की उपासना मन, संबंधों और परिवार में सुख, समृद्धि और प्रेम स्थापित करने में सहायक मानी जाती है।

rajeshswari

हे शिव ध्यानी औघड़ ज्ञानी,
ध्यान को छोड़के मुझसे,
कभी तो तू ध्यान दे,
बरसो से बैठी चरणो में तेरे,
संग बैठने का मुझको जग में तू मान दे,
जब जब कष्ट है आया तीनो लोक में,
तूने हारा उसे ओ नाथ रे,
मेरे भी कस्ट को हरले तू भोले,
मुझको देदे सौगात रे,
तेरे बिन दिन कितने बीते,
अब ना लागे जी मोरा,
ओ अखियां खोल रे शिव भोले,
मैं हूँ तेरी गौरा,
ओ अखियां खोल रे शिव भोले,
मैं हूँ तेरी गौरा,
ओ अखियां खोल रे शिव भोले,
मैं हूँ तेरी गौरा,
ओ अखियां खोल रे शिव भोले,
मैं हूँ तेरी गौरा,
और गौरा मैया कहती है शिव से,
की मैं शक्ति हूँ मैं ही तेरी सती हूँ,
जरा मुझको तो जान,
एक बार आखे खोल भोले,
और अपनी गौरा को पहचान….

सखियाँ छेड़े मुझको के शिव है अघोरी,
पर वो क्या जाने रे की शिव ने थामी मेरी डोरी,
दुख तू हरले गले तो लगाले,
कबसे हूं रूठी है मुझको मनाले,
जब तू अविनाशी तू क्यों है संन्यासी,
तू करता किसका ध्यान रे,
मैं तेरे प्रेम की प्यासी,
तू कैलाश का वासी,
भोले तू गौर की जान रे,
तेरे बिन दिन कितने बीते,
अब ना लागे जी मोरा,
ओ अखियां खोल रे शिव भोले,
मैं हूँ तेरी गौरा,
ओ अखियां खोल रे शिव भोले,
मैं हूँ तेरी गौरा…..

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या तो मुझको इंकार कर दो,
या फिर मुझको स्वीकार कर लो,
तेरे प्यार में हो होई खोई,
कितना हो मै रोयी,
भोले तुझको ना खबर,
बस अब ना सता मुझे और ना रुला,
अब और ना सबर,
प्राण मैं दे दूंगी अब तेरे आगे हमसफर,
फिर जग में ना कोई होगा महोबत का सफर,
ओ अखियां खोलदी अब शिव ने,
हा तुही मेरी गौरा,
ओ अखियां खोलदी अब शिव ने,
हा तुही मेरी गौरा…..

गौरी शंकर का सरल और लाभकारी पूजन

  1. समय: सोमवार, शुक्रवार या किसी शुभ दिन।
  2. स्थान: घर के मंदिर में गौरी–शंकर की एक साथ स्थापित मूर्ति/तस्वीर के सामने।
  3. पूजन:
    • दीपक और धूप जलाएँ।
    • सफेद और लाल फूल अर्पित करें।
  4. जप:
    शांत मन से बोलें—
    “ॐ गौरी शंकराय नमः”
    11, 21 या 108 बार।
  5. भाव:
    शिव की शांति और गौरी की करुणा को हृदय में महसूस करें।
  6. समापन:
    परिवार, संबंधों और मानसिक शांति के लिए आशीर्वाद माँगें।

गौरी शंकर उपासना के फायदे

  • मन शांत होता है और नकारात्मकता दूर होती है।
  • परिवार और रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
  • मानसिक तनाव कम होकर जीवन में संतुलन आता है।
  • दांपत्य जीवन में सौहार्द और समझ बढ़ती है।
  • शिव–शक्ति की कृपा से कार्यों में सफलता मिलती है।

निष्कर्ष

“गौरी शंकर” का स्मरण जीवन में दिव्य शांति और संतुलन का अनुभव कराता है। यह उपासना हमें याद दिलाती है कि जीवन में शक्ति और शांति दोनों का समान महत्व है। शिव–शक्ति का यह संयुक्त स्वरूप हर कठिन परिस्थिति में मार्गदर्शन और संरक्षण प्रदान करता है। यदि मन में श्रद्धा और भाव सच्चा हो, तो गौरी–शंकर की कृपा से जीवन सहज, सुंदर और प्रकाशमय हो जाता है।

Shiv murti

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