एक बार शिवशंकर गौरा खेलें पता डार
“एक बार शिवशंकर गौरा खेलें पता डार” यह पंक्ति शिव–पार्वती की खेल-लीला का ऐसा वर्णन करती है, जो भक्ति को आनंद और प्रेम से भर देती है। इस भाव का स्मरण करने से लगता है मानो कैलाश पर्वत पर हम स्वयं इस दिव्य खेल को देख रहे हों। शिव और गौरा का मिलन, उनकी हँसी–मजाक और प्यार भरी लीला, भक्तों के हृदय को अपार शांति देती है। यह पंक्ति याद दिलाती है कि भगवान केवल कठोर तपस्वी नहीं, बल्कि प्रेम, अपनापन और सरलता के साक्षात् रूप भी हैं। इस भाव से पूजा करना मन और घर—दोनों को पवित्र कर देता है।

एक बार शिवशंकर गौरा खेलें पता डार,
गौरा ने बाज़ी मारी हार गए भोलेनाथ….
शिव शंकर ने लगा दिया अपना चंदा,
वो भी हारे और हार गए जट गंगा,
हाथ जोड़कर गौरा बोली स्वामी होश संभाल,
गौरा ने बाज़ी मारी हार…….
शिवशंकर ने लगा दिया सिलबट्टा,
वो भी हारे और हार गए भंग लोटा,
हाथ जोड़ कर गौरा बोली स्वामी होश संभाल,
गौरा ने बाज़ी मारी हार…….
शिव शंकर ने लगा दिया अपना डमरू,
वो भी हारे और हार गए पग घुँघरू,
हाथ जोड़कर गौरा बोली स्वामी होश संभाल,
गौरा ने बाज़ी मारी हार……..
शिव शंकर ने लगा दिया अपना झोला,
वो भी हारे और हार गए सर्पमाला,
हाथ जोड़ फिर भोले बोले तू जीती हम हारे,
गौरा ने बाज़ी मारी हार………
विधि
- सुबह या शाम दीपक जलाएँ।
- शिव–पार्वती की जोड़ी को फूल अर्पित करें।
- शांत होकर 5 मिनट दोनों का मन में रूप धारण करें।
- धीरे से कहें—
“एक बार शिवशंकर गौरा खेलें पता डार…” - इसके बाद 11 बार “ॐ नमः शिवाय” और 11 बार “ॐ गौरीपतये नमः” जपें।
- अंत में शिव–गौरा से प्रेम, शांति और सामंजस्य का आशीर्वाद माँगें।
लाभ
- मन में शांति, प्रेम और संतुलन उत्पन्न होता है।
- दांपत्य और घरेलू रिश्तों में सौहार्द बढ़ता है।
- मानसिक तनाव कम होकर आनंद और हल्कापन महसूस होता है।
- शिव–गौरा की कृपा से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
- भक्त के मन में भक्ति और विश्वास गहरा होता है।
निष्कर्ष
शिव–गौरा की लीला का स्मरण करते ही मन हल्का, शांत और प्रसन्न हो जाता है। “एक बार शिवशंकर गौरा खेलें पता डार” हमें जीवन में प्रेम, सहजता और अपनापन का संदेश देता है। यह भाव बताता है कि दुनिया चाहे जितनी कठिन क्यों न लगे, पर भगवान की लीला और उनकी कृपा से सब सरल हो जाता है। शिव–गौरा की यह प्रेम लीला हर भक्त के जीवन को मधुरता और आशीर्वाद से भर देती है।

