जरा डमरु बजाओ | महादेव के डमरु की ऊर्जा और जागरण का भाव

जरा डमरु बजाओ | महादेव के डमरु की ऊर्जा और जागरण का भाव

“जरा डमरु बजाओ” यह पंक्ति शिव के डमरु की दिव्य ध्वनि को याद दिलाती है, जो सृष्टि की पहली नाद है। महादेव का डमरु बजना केवल एक संगीत नहीं, बल्कि ऊर्जा, शक्ति और जागरण का प्रतीक माना जाता है। इस नाद से मन की नकारात्मकता दूर होती है और भीतर नई चेतना का प्रकट होना महसूस होता है। जब भक्त इस भाव से शिव का स्मरण करता है, तो मानो उसके जीवन में भी उजाला फैलने लगता है। डमरु का स्वर हमें यह संदेश देता है कि हर कठिनाई के बाद एक नई शुरुआत अवश्य होती है।

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जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ,
मैं पूजा करने आई हूँ मैं आरती करने आई हूँ…..

मैं हाथों में चंदन रोली है मैं तिलक लगाने आई हूँ,
हो जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ…….

मेरे हाथो में दूध का लोटा है मैं तुम्हें नहलाने आई हूँ,
हो जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ……

मेरे हाथों में बेलपत्री है मैं तुम्हे चढाने आई हूँ,
हो जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ……

मेरे हाथों में दिया और बाती है मैं आरती करने आई हूँ,
हो जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ……..

मेरे हाथों में फल और मेवा है मैं भोग लगाने आई हूँ,
हो जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ…….

मेरे संग में भक्त ये सारे है मैं दर्शन करने आई है,
हो जरा डमरु बजाओ शिव शंकर मैं पूजा करने आई हूँ…….

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विधि

  1. एक शांत जगह पर बैठकर दीपक जलाएँ।
  2. महादेव के सामने या उनके चित्र के सामने एक फूल अर्पित करें।
  3. कुछ मिनट गहरी साँस लेकर मन को शांत करें।
  4. धीरे से मंत्र बोलें—
    “जरा डमरु बजाओ भोलेनाथ…”
  5. इसके बाद 11 बार “ॐ नमः शिवाय” जप करें।
  6. डमरु की ध्वनि की कल्पना करें और शिव की ऊर्जा को हृदय में महसूस करें।

लाभ

  • मन की बेचैनी और तनाव कम होता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा हटकर सकारात्मकता बढ़ती है।
  • ध्यान और एकाग्रता में सुधार होता है।
  • भीतर शक्ति, संतुलन और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • शिव की कृपा से जीवन में नई शुरुआत और स्पष्टता आती है।

निष्कर्ष

“जरा डमरु बजाओ” का भाव हमें यह याद दिलाता है कि शिव का नाद हमेशा हमारे जीवन को जागृत और ऊर्जावान बनाने के लिए तैयार है। जब हम श्रद्धा से उनका स्मरण करते हैं, तो हर समस्या हल्की लगने लगती है और जीवन में नया प्रकाश आ जाता है। डमरु की ध्वनि जैसे सृष्टि की शुरुआत थी, वैसे ही यह हमारे भीतर भी नई प्रेरणा जगाती है। सच में, जहाँ भोलेनाथ का नाद सुनाई देता है, वहाँ दुःख, भय और अंधकार का स्थान नहीं रहता।

Shiv murti

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