बिजली निजीकरण के खिलाफ बनारस में 363वें दिन भी जोरदार प्रदर्शन
वाराणसी (जनवार्ता) । विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले बिजली के निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन मंगलवार को 363वें दिन भी जारी रहा। बनारस के बिजली कर्मचारियों ने भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और एक साल पूरे होने पर 27 नवंबर को होने वाले प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।


कर्मचारियों ने एक स्वर में चेतावनी दी कि निजीकरण का फैसला वापस लिए बिना और आंदोलन के दौरान की गई सभी उत्पीड़नात्मक कार्रवाइयां रद्द किए बिना संघर्ष नहीं रुकेगा।
संघर्ष समिति के नेताओं ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण को रोकने के लिए आगामी 30 नवंबर को लखनऊ में सभी जनपदों के संघर्ष समिति संयोजकों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है, जिसमें आंदोलन को और तेज करने का निर्णय लिया जाएगा। इससे पहले 27 नवंबर को पूरे प्रदेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे।
नेताओं ने दावा किया कि निजीकरण के लिए मई महीने में तैयार किए गए आरएफपी दस्तावेज में दोनों निगमों के घाटे को जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया था, जिसे उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। आयोग के अनुसार दक्षिणांचल का वास्तविक वितरण हानि अब मात्र 15.53 प्रतिशत और पूर्वांचल का 16.23 प्रतिशत रह गया है। दोनों निगम 2029-30 तक हानि को क्रमशः 11.83% और 11.95% तक लाने के लक्ष्य पर तेजी से काम कर रहे हैं।
संघर्ष समिति का कहना है कि जब कर्मचारी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, तब पावर कॉर्पोरेशन का शीर्ष प्रबंधन अनावश्यक रूप से निजीकरण का भय दिखाकर माहौल खराब कर रहा है। अब आरएफपी दस्तावेज अप्रासंगिक हो चुका है, इसलिए निजीकरण प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
प्रदर्शन को ओपी सिंह, जिउतलाल, अंकुर पाण्डेय, मदन श्रीवास्तव, रंजीत पटेल, रमेश कुमार, धनपाल सिंह, भैयालाल पटेल, राजेश पटेल, धर्मेन्द्र यादव, सुशांत कुमार, एसके सरोज सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

