बिजली निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का एक साल पूरा

बिजली निजीकरण के खिलाफ आंदोलन का एक साल पूरा

वाराणसी में हजारों कर्मियों ने किया जोरदार प्रदर्शन

rajeshswari

वाराणसी  (जनवार्ता)| उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण और केंद्र के प्रस्तावित इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के खिलाफ चल रहे आंदोलन को गुरुवार को पूरे एक साल हो गए। इस अवसर पर वाराणसी सहित प्रदेश के सभी जनपदों में बिजलीकर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए। देश के अन्य राज्यों में भी लाखों बिजली कर्मचारियों ने सड़कों पर उतरकर उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों को समर्थन दिया।

वाराणसी में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के बैनर तले भिखारीपुर स्थित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक कार्यालय पर हजारों बिजली कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन किया। सभा की अध्यक्षता संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक इंजीनियर शैलेंद्र दुबे ने की तथा संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया।

सभाओं को संबोधित करते हुए इं. शैलेंद्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा मंत्री महाकुंभ की सफलता का श्रेय लेते हैं, लेकिन वही महाकुंभ जिसकी चमचमाती रोशनी नासा ने दुनिया को दिखाई, वह सरकारी बिजली विभाग ने उपलब्ध कराई थी। इसके बावजूद बिजली कर्मियों को सम्मान देने के बजाय निजीकरण का जहर परोसा जा रहा है।

नेताओं ने बताया कि पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन आज 365वें दिन भी उतना ही मजबूत है। प्रदेश के सभी जनपदों में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। देश के अन्य राज्यों की राजधानियों व बिजली परियोजनाओं पर भी विरोध प्रदर्शन हुए। सभी ने मांग की कि यूपी में निजीकरण का निर्णय तत्काल रद्द किया जाए और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 को वापस लिया जाए।

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संघर्ष समिति ने दावा किया कि निगमों को घाटे में दिखाने के लिए झूठे आंकड़े पेश किए गए। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने भी माना है कि 1 अप्रैल 2025 को वितरण निगमों के पास 18,925 करोड़ रुपये का सरप्लस था, इसी कारण इस वर्ष टैरिफ नहीं बढ़ाया गया। यदि सब्सिडी व सरकारी विभागों का बकाया मिल जाए तो निगम घाटे में नहीं हैं।

कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि आंदोलन दबाने के लिए एक साल में 25,000 से अधिक संविदा कर्मचारियों को निकाला गया, हजारों कर्मचारियों (बड़ी संख्या में महिलाओं सहित) के दूरस्थ ट्रांसफर किए गए, फेशियल अटेंडेंस के नाम पर महीनों वेतन रोका गया, नेताओं पर झूठी एफआईआर दर्ज की गईं तथा 87 अभियंताओं का प्रमोशन रोक दिया गया। कर्मचारियों व पेंशनर्स के घरों पर जबरन प्री-पेड मीटर भी थोपे जा रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने संकल्प लिया कि जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं होता और आंदोलन के नाम पर की गई सभी दमनात्मक कार्रवाइयां रद्द नहीं होतीं, तब तक संघर्ष जारी रहेगा, चाहे कितने भी साल लग जाएं।

प्रदर्शन में इं. शैलेंद्र दुबे, अजय सिंह, इं. मायाशंकर तिवारी, ओपी सिंह, राजेंद्र सिंह, इं. पुष्पेंद्र सिंह, वंदना पाण्डेय, सतीश बिंद, उदयभान दुबे, निखिलेश सिंह, जिउतलाल, राजेश सिंह, गिरीश यादव, जितेंद्र यादव, रामाशीष सिंह, कृष्णा सिंह, रामकुमार झा, सुनील कुमार, जेपीएन सिंह, इं. सौरभ मिश्रा, निरंजन सिंह, अनिल कुमार, अंकुर पाण्डेय सहित हजारों कर्मचारी मौजूद रहे।

Shiv murti

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