निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का संघर्ष 366वें दिन भी जारी

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का संघर्ष 366वें दिन भी जारी

देशभर से मिल रहे समर्थन के बीच किसानों व उपभोक्ताओं को साथ लेकर आंदोलन तेज करने की तैयारी

rajeshswari

वाराणसी  (जनवार्ता)| उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बिजली निजीकरण के विरोध में चल रहा आंदोलन गुरुवार को दूसरे वर्ष के पहले दिन, यानी 366वें दिन भी जारी रहा। वाराणसी में जुटे बिजली कर्मचारियों ने प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट कहा कि जब तक निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लिया जाता, संघर्ष चलता रहेगा।

समिति के वक्ताओं ने बताया कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ प्रदेशव्यापी आंदोलन अब दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है। उनका कहना था कि देशभर से मिल रहे समर्थन, किसानों और उपभोक्ताओं की बढ़ती भागीदारी ने इस आंदोलन को और सशक्त किया है।

समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन झूठे घाटे के आंकड़ों के आधार पर 42 जनपदों में निजीकरण लागू करने की कोशिश कर रहा है। वक्ताओं ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग ने स्वयं इन आंकड़ों को अस्वीकृत किया है, इसलिए इन्हीं के आधार पर तैयार किया गया निजीकरण का आरएफपी दस्तावेज स्वतः अवैध माना जाना चाहिए। संघर्ष समिति ने मांग की कि ऐसे दस्तावेज तैयार करने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त और पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन के अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।

समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आंदोलन के दूसरे वर्ष में संघर्ष को और तेज करने के लिए विस्तृत कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी घोषणा अगले सप्ताह की जाएगी। उनका कहना था कि दमनात्मक कार्रवाई के बावजूद प्रदेश के बिजली कर्मी 366 दिनों से उपभोक्ताओं के सहयोग से यह आंदोलन सफलता पूर्वक चला रहे हैं।

इसे भी पढ़े   लोहता थाना अध्यक्ष ने किया कन्या पूजन, कन्याओं को कराया भोजन

सभा को अंकुर पाण्डेय, राजेश सिंह, मनोज जैसवाल, अमित सिंह, पंकज यादव, सूरज रावत, विकास ठाकुर, एस.के. सरोज, धनपाल सिंह, राजेश पटेल, योगेंद्र कुमार, प्रवीण सिंह और ब्रिज सोनकर सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

Shiv murti

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *