काशी तमिल संगमम् 4.0 : बीएचयू में पहला शैक्षणिक सत्र संपन्न 

काशी तमिल संगमम् 4.0 : बीएचयू में पहला शैक्षणिक सत्र संपन्न 

विविधता में एकता का संदेश, महाकवि सुब्रमण्यम भारती की स्मृति में गहरा संवाद

rajeshswari

वाराणसी (जनवार्ता) । बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में बुधवार को काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत आयोजित प्रथम शैक्षणिक सत्र में विशेषज्ञों ने जोर दिया कि भारत की सांस्कृतिक विविधता ही उसकी सबसे बड़ी एकता की ताकत है। “काशी इन तमिल इमैजिनेशन : महाकवि सुब्रमण्यम भारती एंड हिज़ लेगेसी” विषय पर केंद्रित इस सत्र में तमिलनाडु से आए 216 छात्रों ने हिस्सा लिया।

एनसीईआरटी के प्रो. आर. मेगनाथन ने महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जीवन, उनकी राष्ट्रवादी चेतना, वैश्विक दृष्टिकोण और “अचमिल्लै अचमिल्लै” जैसी कविताओं के माध्यम से एक भारत-श्रेष्ठ भारत के विचार पर विस्तार से प्रकाश डाला। सत्र में एनसीईआरटी की भारती पर बनी डॉक्यूमेंट्री और तमिल भाषा सीखने का ट्यूटोरियल भी दिखाया गया।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीएचयू कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा, “काशी तमिल संगमम् उत्तर और दक्षिण के बीच संवाद व समझ को मजबूत कर रहा है। हमारी विविधताएँ भारतीयता को कमजोर नहीं, बल्कि और समृद्ध बनाती हैं।” कुलपति ने बीएचयू के ‘शब्द’ एआई अनुवाद टूल का जिक्र करते हुए कहा कि तकनीक अब भाषाई दीवारें तोड़ रही है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की तमिल बाल पुस्तकों के हिंदी अनुवाद का कुलपति द्वारा विमोचन भी हुआ। तमिलनाडु के छात्रों ने भारत कला भवन, कला संकाय दीर्घा और आईआईटी-बीएचयू के I-3 फाउंडेशन व आर्यो ग्रीन टेक लैब का भ्रमण किया। अमीश त्रिपाठी भी छात्रों के साथ कला भवन गए।

दिन भर चले कार्यक्रमों में स्टार्टअप, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी, आधुनिक कृषि और बहुभाषी एआई संचार पर भी सत्र हुए। भारती की पौत्री डॉ. जयंती मुरली और प्रसिद्ध तमिल कवि इसैकवि रामनन ने भी काशी में भारती के छात्र जीवन और उनके विचारों पर प्रकाश डाला।

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कुलपति प्रो. चतुर्वेदी ने इसे “ज्ञान, संस्कृति और नवाचार का संगम” बताते हुए कहा कि काशी तमिल संगमम् 4.0 प्राचीन काशी-तमिल संबंधों को नई पीढ़ी के लिए जीवंत कर रहा है।

Shiv murti

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