उड़ते प्लेन को किया हाईजैक,वसूले 1.5 करोड़ रुपये और फिर हवा में खो गया लुटेरा
नई दिल्ली। आपने प्लेन हाईजैक और लूटपाट के कई मामले सुने होंगे,लेकिन आज हम आपको जिस घटना के बारे में बताने जा रहे हैं,वैसा शायद ही कभी आपने सुना हो। यह केस आज भी अमेरिकी पुलिस के लिए रहस्य है। पुलिस कभी उसे तलाश ही नहीं पाई। केस अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के पास गया,लेकिन उसके हाथ भी कुछ नहीं लगा। इसे FBI के इतिहास का सबसे बड़ा अनसुलझा रहस्य माना जाता है। चलिए आपको बताते हैं इस केस के बारे में।
1971 को हुई यह घटना
अमेरिका के ओरेगन राज्य में पोर्टलैंड स्थित एयरपोर्ट पर 24 नवंबर 1971 को दोपहर के समय डैन कपूर नाम का शख्स नॉर्थवेस्ट ओरिएंट एयरलाइंस के काउंटर पर पहुंचता है। वह रुपये निकालता है और सिएटल,वॉशिंगटन के लिए फ्लाइट 305 की टिकट लेता है। कूपर की उम्र 40-45 साल के आसपास थी। टिकट लेने के बाद वह फ्लाइट में पहुंचता है। फ्लाइट टेक ऑफ करती है। कुछ देर बाद कूपर एक ड्रिंक ऑर्डर करता है। दोपहर 3 बजे के बाद कूपर एक एयर होस्टेस को एक पर्ची पकड़ाता है। इसमें लिखा था कि मेरे ब्रीफकेस में बम है और मैं चाहता हूं कि तुम मेरे पास बैठो। घबराई एयर होस्टेस यह पढ़कर उसके पास बैठ जाती है। इसके बाद कूपर ब्रीफकेस खोलकर उसे दिखाता है। अंदर कई तारें और लाल रंग की स्टिक्स थीं जिन्हें देखकर एयर होस्टेस के होश उड़ जाते हैं। इसके बाद कूपर उस एय़र होस्टेस से कुछ मैसेज लिखवाता है औऱ उसे पायलट को देकर आने को कहता है।
नोट पर लिखवाकर की डिमांड
एयर होस्टेस उस नोट को फ्लाइट के कैप्टन तक पहुंचा देती है। उस नोट में 4 पैराशूट और 2,00,000 डॉलर की मांग की गई थी। फ्लाइट जब सिएटल में लैंड करती है तो उसे पैराशूट और उतनी रकम मिल जाती है जितने की डिमांड उसने की थी। इसके बदले में वह 36 यात्रियों को छोड़ देता है। लेकिन कूपर चालक दल के कई सदस्यों को बंदी बनाए रखता है। प्लेन दोबारा टेक ऑफ करती है और कूपर कैप्टन को मैक्सिको सिटी चलने के लिए कहता है।
रुपये मिलने के बाद अचानक बीच रास्ते में कूदा,फिर नहीं मिला
पायलट उसके कहे के अनुसार वैसा ही करता है। सिएटल और रेनो के बीच रात करीब 8 बजे कूपर अचानक पैराशूट और पैसों के साथ विमान के पिछले हिस्से से नीचे कूद जाता है। इसके बाद पायलट विमान की सुरक्षित लैंडिंग कराते हैं। पुलिस को सूचना दी जाती है, पुलिस कूपर की तलाश करती है,लेकिन कूपर रात के अंधेरे में कहां गायब हो जाता है इसका पता नहीं चलता। इसके बाद केस में एफबीआई की भी एंट्री होती है। सैकड़ों लोगों से पूछताछ की गई। सबूत के लिए प्लेन की छानबीन की गई,लेकिन नतीजा जीरो ही रहा।
पुलिस ने 5 साल की जांच के बाद दी ये थ्योरी
एफबीआई की टीम 5 साल तक जांच करती रही। करीब 800 संदिग्ध लोगों से पूछताछ की गई,लेकिन कूपर का कुछ पता नहीं चला। फिर एफबीआई ने यह थ्योरी बताई की प्लेन से कूदते वक्त कूप का पैराशूट खुला नहीं और उसकी मौत हो गई। जहां वह कूदा वह जंगली इलाका था। पुलिस को उसकी डेडबॉडी नहीं मिली थी। हालांकि इस थ्योरी को 1980 में तब सपोर्ट मिला जब एक लड़के को नोटों से भरा एक सड़ता हुआ बैग मिला। इस बैग में मिले नोटों के नंबर वही थे जो कूपर को दिए गए थे। पर न तो कूपर मिला और न उसकी डेडबॉडी। यह एफबीआई के लिए आज भी रहस्य है कि वह गया कहां।