अभिषेक दुबे ही निकला धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड

अभिषेक दुबे ही निकला धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड
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ऋण के नाम पर चल रहा था जरूरतमंदों को लूटने का खेल
सोनभद्र/वाराणसी।घर के लिए ऋण देने वाली फाइनेंस कंपनी की ओर से फर्जी दस्तावेज के आधार पर लोन कराकर रुपये हड़पने का मुकदमा सिगरा थाने में दर्ज कराया गया है। इसमें कंपनी के तीन प्रतिनिधि भी शामिल हैं। एसीपी चेतगंज से शिकायत के बाद गुरुवार को केस दर्ज कर छानबीन की जा रही है। महमूरगंज रोड पर आशाकुंज में हिंदुजा हाउसिंग फाइनेंस लि. का कार्यालय है। वाराणसी में इसके अधिकारी विनीत द्विवेदी हैं। कंपनी का पावर ऑफ अटार्नी भी इनके पास है। विनीत की शिकायत पर सिगरा थाने में चंदौली के बसरतिया कोरी निवासी मंजू देवी, उसके पति प्रमोद कुमार, अश्विनी त्रिपाठी और कंपनी के क्षेत्रीय शाखा प्रमुख अभिषेक दुबे, तत्कालीन टेक्निकल मैनेजर जयंद्र नारायण पाठक, क्लस्टर क्रेडिट मैनेजर गौरव कुमार गुप्ता पर धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज, गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है।

ठगी को कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि मंजू देवी और प्रमोद कुमार को अश्विनी त्रिपाठी के मकान का क्रेता बताकर लोनिंग की प्रक्रिया फर्जी दस्तावेज के जरिये अपनाई गई। किसी दूसरे की फोटो लगा कर कंपनी की ओर से विक्रेता के नाम से लोन जारी किया गया और अश्विनी के नाम से एक अप्रैल 2022 को 20 लाख 90 हजार रुपये लोन स्वीकृत किया गया। लेकिन बात जब किस्त जमा नहीं करने पर पूरा खेल सामने आया। अब लोन की राशि बढ़कर 24 लाख से अधिक हो गई है। फर्जी लोनिंग में कंपनी के प्रतिनिधियों की भी मिलीभगत सामने आई। इसी तरह दूसरा मुकदमा भी विनीत द्विवेदी की शिकायत पर सिगरा थाने में ही दर्ज किया गया है। इसमें फर्जी तरीके से 17 लाख रुपये की ऋण स्वीकृत कर हड़प लिया गया। इसमें पिंडरा के रमईपुर निवासी मंजीत कुमार तिवारी, उसकी पत्नी माधुरी, चंदौली के बसरतिया कोरी निवासी राजनारायण तिवारी और कंपनी के प्रतिनिधियों अभिषेक दुबे, जयंद्र नारायण पाठक, गौरव कुमार गुण अगला को नामजद किया गया है। इसमें एक जून 2022 को लेख राजनारायण तिवारी के नाम से लोन जारी किया गया था। अब ब्याज समेत लोन की राशि 18 लाख 34 हजार रुपये से अधिक हो गई है। मुख्य आरोपी अभिषेक दुबे व अन्य नामजद चंदौली के बसरतिया कोरी गांव के हैं जिनके नाम से लोन जारी किया गया था। अश्विनी त्रिपाठी और राजनारायण को लोन के रुपये जारी किये गये। दो महीने के अंतराल पर ही दोनों को रुपये जारी किये गये। दोनों ही मामलों में कंपनी के तीन प्रतिनिधियों की मिलीभगत सामने आई है।

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