चीन की एक और नापाक चाल,अरुणाचल से लगी सीमा पर बसा रहा 175 नए गांव

चीन की एक और नापाक चाल,अरुणाचल से लगी सीमा पर बसा रहा 175 नए गांव
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बीजिंग। अरुणाचल प्रदेश से लगी सीमा पर चीन फिर से अपनी नापाक चलने को तैयार है। चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी तरफ 175 नए गांव बनाने की तैयारी कर चुका है। ट्रिब्यून इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। चीन इसके पहले एलएसी के पास 628 आधुनिक गांव बसा चुका है। ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चीन स्पष्ट रूप से क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने और एलएसी पर सैन्य तैयारी बढ़ाने के लिए इन गांवों को स्थापित कर रहा है।

चीन एक बड़ी योजना के तहत एलएसी से लगे क्षेत्रों में 900 गांवों का निर्माण कर रहा है, जिसमें 200 गांव भारतीय सीमा के काफी पास हैं। चीन की योजना भारत के साथ संघर्ष की स्थिति में इन गांवों को निगरानी पॉइंट और संभावित सैन्य अड्डों के रूप में इस्तेमाल करने की है। इन बस्तियों का उद्येश्य केवल सैन्य उद्येश्यों के लिए ही नहीं है, बल्कि इसके दीर्घकालिक निहितार्थ हैं।

क्या है चीन की योजना?
दरअसल, भारत के साथ सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) 2005 के तहत चीन एलएसी के पास एक मजबूत कानूनी सुरक्षा निर्माण करना चाहता है। बीडीसीए का अनुच्छेद 8 कहता है कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी बसी हुई आबादी के उचित हितों की रक्षा करेंगे। सूत्रों के अनुसार, भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर अभी विवाद है और जब कभी सीमांकन की स्थिति बनती है तो इस बसाई गई आबादी को हटाने की संभावना नहीं होगी। यही वजह है कि चीन तेजी से इन बस्तियों के निर्माण में लगा है। वहीं, इन नई बस्तियों के सामने दूसरी तरफ भारतीय सीमा के गांवों में वर्तमान में बहुत कम आबादी है।
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एलएसी के पास तेजी से निर्माण में लगा है चीन
इन गांवों को बनाने के अलावा, चीन ने तिब्बत और एलएसी के पास के क्षेत्रों में व्यापक बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। 2021 से 2025 की चीन की 14वीं पंचवर्षीय योजना में सिचुआन-तिब्बत रेलवे लाइन का विस्तार, होटन-शिगात्से और ग्यारोंग-शिगात्से रेल लाइनों पर प्रारंभिक कार्य और चेंगदू-वुहान-शंघाई हाई स्पीड रेलवे नेटवर्क शामिल हैं।

चीन क्षेत्र में अपना प्रभाव मजबूत करने के उद्येश्य से तिब्बत के एकीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश कर रहा है। पिछले सप्ताह ही चीन ने तिब्बत पर कब्जे को छिपाने के लिए एलएसी के अपनी तरफ जश्न आयोजित किया था। चीन ने इसे लोकतांत्रिक सुधार की 65वीं वर्षगांठ के रूप में प्रचारित किया था। साल 1959 में 28 मार्च को चीन ने तिब्बत की दलाई लामा सरकार को बर्खास्त कर दिया था।


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