एंटी इंडिया अभियान चलेगा… UNSC में पाकिस्तान की एंट्री और भारत की मुश्किल, चीन के साथ…
इस्लामाबाद। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कई सदस्य अगले साल यानी 1 जनवरी, 2025 से बदलने जा रहे हैं। परिषद में कुछ गैर-स्थायी सदस्यों की एंट्री हो रही है। इन सदस्यों में एक पाकिस्तान भी है। पाकिस्तान को दो साल के कार्यकाल के लिए निर्वाचित गैर-स्थायी सदस्य के रूप में यूएनएससी में 1 जनवरी को एंट्री मिल जाएगी। पाकिस्तान का यूएनएससी में ये आठवां कार्यकाल होगा। पाकिस्तान के इतिहास को देखते हुए उसकी ये एंट्री भारत के लिए परेशानी बढ़ाने वाली हो सकती है।
रिपोर्ट के मुताबिक,पाकिस्तान का UNSC में आना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जो 10 नए सदस्य आ रहे हैं, उनमें से आधे इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) से हैं, जिनसे पाकिस्तान को कई मौकों पर फायदा मिलता रहा है। पाकिस्तान के लिए एक तरफ ये देश होंगे तो दूसरी ओर चीन हैं। कई मुद्दों पर रूस का साथ भी पाकिस्तान को मिल सकता है। ऐसे में यूएनएससी में पाकिस्तान का डिफॉल्ट मोड भारत पर ध्यान केंद्रित करना रह सकता है।
भारत के लिए क्या संभावना बन सकती है
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत-पाकिस्तान के रिश्ते को देखते हुए ये माना जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र में दोनों के बीच बहुत सहयोग देखने को नहीं मिलने जा रहा है। पाकिस्तान के साथ-साथ ये भी देखा गया है कि ओआईसी देश जिनके साथ भारत के बहुत करीबी द्विपक्षीय संबंध हैं, संयुक्त राष्ट्र में भारत विरोधी भाषा वाले पाकिस्तानी ड्राफ्ट के पीछे खड़े हो जाते हैं। ऐसे में भारत को यूएनएससी में पाकिस्तान की भारत विरोधी पहल के लिए तैयार रहना चाहिए।
साल 2012 में एक संक्षिप्त अवधि थी जब संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों के मिशनों के बीच कुछ तालमेल था लेकिन ये जल्दी ही खत्म हो गया। पाकिस्तान भारत विरोधी होने के अपने बहुपक्षीय डिफॉल्ट मोड पर वापस आ गया और इसमें उसे अब चीन का खुला समर्थन मिल रहा है। पाकिस्तान के लिए अहम मुद्दा कश्मीर हो सकता है। चीन की मदद से पाकिस्तान जम्मू कश्मीर और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मामले पर चर्चा की कोशिश करेगा।
पाक बना सकता है हथियार!
पाकिस्तान ने भारत को निशाना बनाने के अपने हालिया प्रयासों में इस्लामोफोबिया को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत की नियुक्ति के ओआईसी के प्रस्ताव के समर्थन में है। ऐसे में एक बार फिर पाकिस्तान इस मुद्दे पर आक्रामक हो सकता है और भारत उसके निशाने पर हो सकता है।
इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान ने परिषद में द्विपक्षीय भारत-पाकिस्तान सिंधु जल संधि का मुद्दा उठाया था। हालांकि यह एक विशुद्ध द्विपक्षीय समझौता है लेकिन एक बार फिर से पाक इसके लिए यूएनएससी के मंच का इस्तेमाल कर सकता है। कहा जा सकता है कि पाकिस्तान का यह कार्यकाल भारत विरोध और भारत के खिलाफ बयानबाजी पर ही ज्यादा फोकस वाला रहेगा।