अनुराग,रविशंकर प्रसाद,रूडी.. इन 5 नेताओं को क्यों नहीं मिली मोदी कैबिनेट में जगह

अनुराग,रविशंकर प्रसाद,रूडी.. इन 5 नेताओं को क्यों नहीं मिली मोदी कैबिनेट में जगह
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल का साइज बड़ा हो गया है। कुल 72 मंत्री (बीजेपी से 61, सहयोगी दलों से 11) बने हैं, जिनमें से 31 कैबिनेट, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 36 जूनियर मंत्री हैं। मोदी 2.0 के 72 मंत्रियों में से केवल 33 की ही वापसी हुई है। मोदी 2.0 के मंत्रियों में से 14 ने चुनाव नहीं लड़ा,19 हार गए। 6 ने चुनाव लड़ा और जीते लेकिन मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।

निवर्तमान सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को ड्रॉप कर दिया गया है। ठाकुर लगातार पांचवीं बार हमीरपुर से जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। ठाकुर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह न मिलने के पीछे बीजेपी चीफ जेपी नड्डा की कैबिनेट में एंट्री है। चार सीटों वाले हिमाचल प्रदेश से दो-दो कैबिनेट मंत्री बनाना ठीक नहीं होता, इसलिए ठाकुर का पत्ता कट गया।

बिहार में जदयू के संजय झा के साथ भी यही हुआ। सीएम नीतीश कुमार के खास समझे जाने वाले झा की जदयू के दोबारा बीजेपी के साथ आने में अहम भूमिका थी। उनका मंत्रिमंडल में चुना जाना लगभग तय था। लेकिन बीजेपी ने टीडीपी और जेडी(यू) के मामले में ‘एक कैबिनेट, एक राज्यमंत्री’ की लिमिट पर जोर दिया। नतीजा यह हुआ कि झा के बजाय राजीव रंजन सिंह ‘ललन’ को मंत्री पद मिल गया।

रविशंकर प्रसाद और राजीव प्रताप रूडी
रविशंकर प्रसाद का नाम भी मोदी 3.0 मंत्रिमंडल में न होना कई को हैरान कर गया। हालांकि,उन्हें पिछली बार भी बीच कार्यकाल में मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था। लेकिन बीजेपी ने अहम मौकों पर रविशंकर को ही प्रवक्ता बनाकर आगे किया है। जब-जब मोदी सरकार किसी मुद्दे पर घिरी, रविशंकर बचाव करने को आगे आए। उन्हें कड़ी लॉबिंग के बावजूद टिकट दिया गया। बीजेपी ने शायद सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की मजबूरी के चलते प्रसाद को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी।

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प्रसाद की तरह, राजीव प्रताप रूडी को भी पिछले कार्यकाल के बीच में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। सारण में लालू प्रसाद के कुनबे के खिलाफ सफलता हासिल करने के बावजूद राजपूत नेता मंत्रिमंडल में वापसी नहीं कर पाए। उत्तर प्रदेश के पड़ोसी इलाके में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और कुछ अन्य की हार के बाद राजपूत समुदाय से बहुत अधिक मजबूत दावेदार नहीं बचे थे।

मनोज तिवारी भी हुए मायूस
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए मनोज तिवारी को भी मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी। वह पिछली बार जीतने वाले सांसदों में से इकलौते थे जिन्हें दिल्ली में बरकरार रखा गया था। हालांकि, बीजेपी ने तिवारी की जगह पूर्वी दिल्ली से जीतकर आए हर्ष मल्होत्रा को सरकार में जगह दी।

उत्तराखंड की गढ़वाल सीट से जीते अनिल बलूनी भी मंत्री पद के मजबूत दावेदारों में से थे। वह बीजेपी के मीडिया सेल प्रभारी हैं और पार्टी नेतृत्व से उनकी खूब बनती भी है। इसके बावजूद, बलूनी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली।


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