होली में रंग लगाते समय रहें सावधान;वर्ना भुगतना पड़ेगा बुरा अंजाम
नई दिल्ली। होली का त्योहार अब बस कुछ ही दिन दूर है। पूरी दुनिया में होली का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। अगले महीने होली का त्योहार 6 मार्च को मनाया जाएगा। अत: 7वां धूलिवंदन है। होली में होलिका दहन किया जाता है। साथ ही रंगों की बौछार अनिवार्य है।
हालांकि रंग लगाते समय सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। डॉक्टर हमेशा इसके लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं। हालांकि, कई लोग प्राकृतिक रंगों के बजाय रासायनिक रंगों से होली खेलना पसंद करते हैं और कई बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
अस्थमा है तो सावधान रहें
रासायनिक रंगों के इस्तेमाल से उन लोगों की सेहत बिगड़ सकती है जिन्हें पहले से अस्थमा है। कई प्रकार के रसायन होते हैं जो श्वसन पथ में प्रवेश कर सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं। इससे अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। अगर किसी व्यक्ति में सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, खांसी और ऑक्सीजन का स्तर कम होने जैसे लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। ऐसे में जो लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। उन्हें अपने साथ इनहेलर रखना चाहिए।
फंगल इंफेक्शन की समस्या
कई लोग ऐसे होते हैं जिनके शरीर पर फंगल इंफेक्शन हो जाता है। रासायनिक रंग इस समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसलिए त्वचा पर खुजली, लाल दाने, जलन जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इससे समस्या बढ़ सकती है।
सोरायसिस की समस्या
सोरायसिस को एक गंभीर त्वचा रोग माना जाता है। सोरायसिस में प्रभावित व्यक्ति की त्वचा पर धब्बे पड़ जाते हैं। शरीर पर लाल दाने निकल आते हैं। होली में इस्तेमाल होने वाले केमिकल वाले रंग सोराइसिस की समस्या को बढ़ा सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सोरायसिस के मरीजों को केमिकल वाले रंगों से होली नहीं खेलनी चाहिए।
अगर आप इस साल होली खेलने जा रहे हैं तो अपनी त्वचा और सेहत का खास ख्याल रखें। क्योंकि होली के रंग आपके शरीर, त्वचा, बाल और संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए डॉक्टरों की सलाह है कि जितना हो सके प्राकृतिक रंगों के इस्तेमाल पर ध्यान दें।