लापरवाही से शिक्षिका की मौत का भाई ने लगाया आरोप, डॉक्टर पर मुकदमे की मांग को लेकर प्रदर्शन

लापरवाही से शिक्षिका की मौत का भाई ने लगाया आरोप, डॉक्टर पर मुकदमे की मांग को लेकर प्रदर्शन
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वाराणसी (जनवार्ता)। ईश्वर का दूसरा रूप कहे जाने वाले डॉक्टर ना जाने क्यों अपनी जिम्मेदारी को भूलते जा रहे हैं। जिसके कारण शहर ही नहीं बल्कि पूरे देश में डॉक्टरों के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा हो रहा है। कुछ ऐसा ही मामला भेलूपुर थाना क्षेत्र के रविंद्रपुरी स्थित एक निजी अस्पताल अग्रिम का है। जहां बुधवार को उपचार के लिए एक युवती को भर्ती कराया गया था। और उसकी मौत हो गई।मृतक प्रीति के भाई नवीन का आरोप है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद ही उपचार के दौरान मिर्जापुर अदलहट कंपोजिट विद्यालय इब्राहिमपुर में तैनात शिक्षिका प्रीति सिंह (37) की मौत हो गई। शिक्षिका की मौत होने के बाद परिजनों ने जब हॉस्पिटल के लोगों से मौत का कारण पूछा तो कोई जवाब नहीं दिया बल्कि धमकी देते हुए कहा कि जो करना है कर लो, मेरा कुछ नही होगा।

पीड़ित परिवार ने पुलिस प्रशासन को घटना से अवगत कराया। मौके पर स्थानीय पुलिस ने पहुँचकर शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।

इस प्रकरण में न्याय की मांग की लेकर मृतक के भाई नवीन सोमवार को लगभग अपराह्न 12 बजे से निजी अस्पताल के मुख्य द्वार पर अपनी बहन के लिए न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं। उनका आरोप है कि जिस डॉक्टर के इंजेक्शन का ओवरडोज लगाने के कारण मौत हुई है। उस डॉक्टर के ऊपर एफ.आई.आर. हो ताकि मृतक को न्याय मिल सके। हॉस्पिटल के मैनेजर संजय का कहना है कि आरोप सारा गलत है। मरीज का बच्चा खराब होने का मामला था। जब उसको ओ.टी. में ले जाया गया तो वह घबराने लगी और हालात बिगड़ता देख उसको आईसीयू वार्ड में उपचार के लिए लाया गया। जहाँ उसने दम तोड़ दिया।

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धरने पर बैठा भाई। •जनवार्ता

मरीज का पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मामला साफ हो जाएगा कि सच क्या है और झूठ क्या है। अगर डॉक्टर दोषी पाए गए तो वह सामने आएंगे।

इस मामले पर स्थानीय पुलिस ने मेडिकल बोर्ड का मामला बताते हुए पल्ला झाड़ लिया। वही सीएमओ एवं उनके सूचना अधिकारी से पक्ष जानने के लिए जनवार्ता की टीम ने सीयूजी नम्बर पर सम्पर्क किया लेकिन नम्बर उठा ही नही।

अब देखने वाली बात यह है कि लगातार अस्पतालों पर आरोप लगते आए हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मात्र कोरम पूरा करने के लिए पीड़ित पक्षों को समझा-बुझाकर मामले को शांत कर देते हैं और इन अस्पताल एवं उनके डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही नहीं होती।


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