जले हुए पेपर,2.6 करोड़ के ब्लैंक चेक,गिरफ्तार आरोपियों का क्या हुआ? इन पर NTA चुप क्यों है?

जले हुए पेपर,2.6 करोड़ के ब्लैंक चेक,गिरफ्तार आरोपियों का क्या हुआ? इन पर NTA चुप क्यों है?
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नई दिल्ली। पूरे देश में नीट परीक्षा को लेकर विवाद चल रहा है। मेडिकल स्टूडेंट्स पेपर लीक होने की घटना पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से सवाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने भले ही 1563 छात्रों के लिए फिर से परीक्षा कराने का आदेश दिया है, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे, लेकिन बिहार पुलिस की जांच को अभी तक नजरअंदाज किया जा रहा है। बता दें, बिहार पुलिस का दावा है कि नीट का पेपर लीक हो गया था।

5 मई को हुई नीट परीक्षा के दौरान बिहार पुलिस ने पेपर लीक मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि करीब 35 छात्रों को परीक्षा से पहले ही नीट परीक्षा के सवाल और जवाब मिल गए थे। लेकिन, इस मामले में अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने भी इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है।

स्टूडेंट्स का आरोप है कि नीट परीक्षा की शुरुआत से ही गड़बड़ियां चल रही थीं। पेपर लीक होने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, लेकिन परीक्षा रोकी नहीं गई। अब फिर से परीक्षा कराने के फैसले से छात्रों की परेशानी और बढ़ गई है। उनका आरोप है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) अपनी गलतियों को छिपा रही है और 23 लाख स्टूडेंट्स के साथ न्याय नहीं कर रही है।

डीएनए के मुताबिक बिहार पुलिस का कहना है कि ये पक्का नहीं है कि जो पेपर उन्होंने पकड़े हैं वो वाकई में लीक हुए पेपर ही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है। जांच में ये पता चला है कि ये पेपर मध्य प्रदेश और गुजरात से आये थे। सूत्रों के मुताबिक, शायद पेपर ले जाते वक्त ये लीक हुए होंगे। साथ ही, जली हुई नकलें भी मिली हैं जो कथित तौर पर लीक हुए सवालों की थीं, लेकिन एनटीए ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है। इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें परीक्षा देने वाले छात्रों के रिश्तेदार और बिचौलिए भी शामिल हैं। हालांकि, एनटीए ने बिहार पुलिस को जली हुई ‘लीक पेपर’ की रिपोर्ट अभी तक नहीं दी है।

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बिहार पुलिस को एक सूचना मिली जिसके आधार पर उन्होंने सबसे पहले सिकंदर प्रसाद यादवेंदु को गिरफ्तार किया। यादवेंदु एक जूनियर इंजीनियर था। उस पर आरोप है कि उसने पहले से ही परीक्षा पेपर हासिल कर लिया था और उसे कई सेंटर्स और ठिकानों पर पहुंचा दिया था, जहां कुछ लोग परीक्षा दे रहे छात्रों की जगह पेपर हल करने वाले थे। शास्त्रीनगर पुलिस ने राजवंशी नगर में एक नियमित जांच के दौरान यादवेंदु को अखिलेश और बिट्टू के साथ गिरफ्तार किया। उनके पास से कई नीट परीक्षा के एडमिट कार्ड मिले। यादवेंदु से पूछताछ के बाद पुलिस ने आयुष, अमित और नीतीश को गिरफ्तार किया। बाद में नालंदा के संजीव सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

बिहार पुलिस की जांच में पता चला है कि इस गिरोह ने फर्जी शिक्षा सलाहकार फर्मों और कोचिंग सेंटर्स के जरिए छात्रों को फंसाया। आरोपियों में से एक अमित आनंद पटना में एक एजुकेशनल कंसलटेंसी फर्म चलाता था। जांच में पता चला है कि असली क्वेश्चन पेपर को देश के अलग-अलग राज्यों में NTA के नोडल पॉइंट्स से इकठ्ठा किया जाता था, फिर उन्हें परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने से पहले स्थानीय बैंकों में ले जाया जाता था। बिहार की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने पाया कि पेपर ले जाने वाले कर्मचारियों ने ही उन्हें लीक कर दिया था।

बिहार पुलिस की जांच से पता चला है कि यही गिरोह BPSC TRE 3.0 परीक्षाओं के सवाल भी लीक करवा रहा था। ये गिरोह परीक्षा देने वाले छात्रों से 30 से 32 लाख रुपये तक लेता था। इसके बाद उन्हें एक गुप्त ठिकाने पर ले जाकर सवाल हल करवाता था और फिर परीक्षा केंद्र तक पहुंचा देता था। बिहार पुलिस के मुताबिक, दो छात्रों के माता-पिता पहले से ही गिरोह के संपर्क में थे और उन्होंने गुप्त ठिकाने पर छात्रों को इकट्ठा करने में मदद की। इन छात्रों ने बाकियों से कम रकम दी थी। EOU का मानना है कि उन्होंने सिर्फ एक गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसमें करीब एक दर्जन लोग शामिल थे और उन्होंने पांच छात्रों की मदद की थी।

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गोधरा सेंटर पर नीट घोटाला
गुजरात के गोधरा में खास सेंटर के लिए रिश्वत दी गई थी। पुलिस को जांच में 2.6 करोड़ के ब्लैंक चेक मिले हैं। इस सेंटर के 26 में से 16 स्टूडेंट्स ने रिश्वत दी थी।


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