चैत्र नवरात्रि : कन्या पूजन, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व जाने सिर्फ एक क्लिक में

चैत्र नवरात्रि : कन्या पूजन, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व जाने सिर्फ एक क्लिक में
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चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि काफी खास मानी जाती हैं। क्योंकि इन दिनों में कन्या पूजन के साथ हवन करने का विधान है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मां दुर्गा जल्द प्रसन्न होती है। जानिए कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि के बारे में।

कन्या पूजन समय
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन आप किसी भी दिन कर सकते हैं लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन पूजन करना ज्यादा शुभ माना जाता है। इसलिए कन्या पूजन 9 और 10 अप्रैल को करना शुभ होगा।

कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि- 8 अप्रैल रात 11 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 9 अप्रैल को देर रात 1 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि- 10 अप्रैल को तड़के 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 11 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक। सुकर्मा योग- 9 अप्रैल सुबह 11 बजकर 25 मिनट से 10 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक। सर्वार्थ सिद्धि योग- 9 अप्रैल सुबह 6 बजकर 02 मिनट तक. अभिजीत मुहूर्त – 9 अप्रैल सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक।

कन्या पूजन विधि
कंजक खिलाने वाले दिन से ठीक एक दिन पहले 2 से 10 साल तक की कन्याओं को आमंत्रण दे दें। आप 1 से लेकर 11 कन्याओं के बीच की संख्या में बुला सकते हैं। इसके साथ ही एक बालक को भी आमंत्रित कर दें। अष्टमी या नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद कन्याओं के लिए भोजन तैयार कर लें। फिर कन्याओं को बुला लें। कन्याओं के आने पर एक बड़ी थाली में पानी और थोड़ा सा दूध मिला लें और इससे कन्याओं और बालक के पैर धो दें और फिर साफ कपड़े से पोंछ दें। फिर उन्हें साफ जगह पर आसन बिछाकर बैठा दें।

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कन्याओं को बैठाने के बाद उनके माथे में थोड़ा सा घी लगा दें। इसके बाद रोली, कुमकुम के साथ अक्षत लगा दें और हाथों में मौली बांध दें। इसके बाद उन्हें चुनरी भी डाल सकते हैं। फिर घी का दीपक जलाकर उनकी आरती उतार लें। इसके बाद उन्हें श्रद्धा के साथ देवी मां का ध्यान करते हुए भोजन कराएं। भोजन करना के बाद कंजकों को फल, अनाज के अलावा कोई अन्य भेंट के साथ दक्षिणा दें। इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद दे लें और मां का जयकारे लगाते हुए भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद सत्कार के साथ उन्हें विदा करें। कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को कई प्रकार के पकवान परोसे जाते हैं। कन्या पूजन के लिए हलवा, चना, खीर, पूड़ी के अलावा आप चाहे तो साबुदाना की टिक्की, फ्रूट चाट आदि भी खिला सकते हैं।

मां दुर्गा के साथ कन्या पूजन महत्व
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के साथ कन्या पूजन करना जरूरी माना जाता है। देवी पुराण के अनुसार, कन्या पूजन करने से मां दुर्गा जल्द प्रसन्न होती है और व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इतना ही नहीं कन्याओं को भोजन कराने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी सही हो जाती है। माना जाता है कि कन्या की संख्याओं से अलग-अलग फलों का प्राप्ति होती है। माना जाता है कि एक कन्या की पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। वहीं दो से मोक्ष और भोग की प्राप्ति, तीन कन्याओं को भोजन कराने से काम और अर्थ का लाभ, चार कन्याओं को खिलाने से राजपद की प्राप्ति, पांच कन्याओं को खिलाने से विद्या की प्राप्ति, छह कन्याओं को खिलाने से सिद्धियों की प्राप्ति, सात कन्याओं को खिलाने से सौभाग्य की प्राप्ति, आठ को खिलाने से सुख संपदा और नौ कन्याओं की पूजा करने से संसार में राज करने का वरदान मिलता है।

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