नवरात्री का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। आज चंद्रघंटा माता के दर्शन-पूजा का विधान है। वाराणसी के चौक स्थित लक्खी चौतरा गली में देवी चंद्रघंटा मंदिर शेरावाली के जयकारों से गूंज उठा है। मंदिर परिसर से लेकर गलियों तक में देश भर से आए भक्तों की भारी भीड़ है। मां चंद्रघंटा का गुड़हल और बेले के फूल से श्रृंगार किया गया है।
यहां पर सुबह 4 बजे से ही जय माता दी और हर-हर महादेव के नारे लग रहे हैं। भक्तगण दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं। मान्यता है कि काशी में मोक्ष दिलाने वाली मां चंद्रघंटा ही हैं।
चंद्रघंटा मंदिर के पुजारी वैभव योगेश्वर ने कहा कि काशी के लोगों में मान्यता है यह है कि जब किसी की मौत होती है तो भगवती चंद्रघंटा उनके कंठ में विराजमान होती है।
उसकी ध्वनि से मोक्ष की प्राप्ति कराती हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन नारियल, चुनरी और फल-फूल अर्पण कर रहे हैं। माता चंद्र उनका स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है। उनके मस्तक पर अर्ध चंद्र सुशोभित हैं। इस वजह से उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।
वैभव ने बताया कि लिंग पुराण के अनुसार, देवी चंद्रघंटा ही पूरे काशी क्षेत्र की सुरक्षा करती हैं। देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों को सुख, शांति, यश और सद्भाव की प्राप्ति होती है। भक्त सुनीता ने बताया कि मां चंद्रघंटा के पास परिवार की सुख-समृद्धि के लिए आए हैं। मैं नौ दिन का व्रत हूं। हम अपनी सारी इच्छाएं मां के सामने प्रस्तुत कर देते हैं। वो पूरा करती हैं।