काशी के घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की सैलाब,जारी है स्नान,ध्यान और दान
वाराणसी | मकर संक्रांति भले ही शनिवार की रात 3.02 बजे लग रही है लेकिन काशी के घाटों पर स्नान-ध्यान और दान का सिलसिला शनिवार की भोर से ही जारी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने दशाश्वमेघ, पंचगंगा सहित अन्य घाटों पर स्नान किया। प्रशासन का दावा है कि सुबह नौ बजे तक पांच लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। वहीं, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए तमाम इंतजाम किए गए हैं।
सुरक्षा में लगे 25 नावों पर सवार 100 जवान
मकर संक्रांति पर गंगा में स्नान करने आए श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 25 नावों पर सवार 100 जवान मुस्तैद हैं। इनमें जल पुलिस, एनडीआरएफ, पीएसी की फ्लड यूनिट के जवान शामिल हैं। प्रमुख घाटों पर बैरिकेडिंग की गई है। घाटों पर थानों की पुलिस भी तैनात है। घाट से लेकर गंगा में आस्थावानों की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह पुलिस व प्रशासन सतर्क है। जल पुलिस के 25 जवान चार नावों पर लगातार घाटों का चक्रमण कर रहे हैं। इनके साथ पीएसी के फ्लड यूनिट की एक कंपनी के 85 जवान दस नावों पर सवार हैं। हर बार की तरह एनडीआरएफ के जवान 11 नावों के साथ रामनगर से लेकर राजघाट तक पूरी गंगा पर नजर रखे हुए हैं। गंगा में सुरक्षा की यह व्यवस्था 15 जनवरी को भी रहेगी।
15 जनवरी को मनेगा मकर संक्रांति
हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनेगा। पंचांगों के अनुसार, सूर्य 15 जनवरी की रात 3.02 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस प्रकार उदयातिथि के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ और तिल खाने की परंपरा है। साथ ही खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। इसके बाद से ही बसंत का आगमन शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति को देश भर में अलग-अलग नामों के साथ मनाया जाता है। इसे लोहड़ी, उत्तरायण, खिचड़ी, टहरी, पोंगल जैसे नामों से भी जानते हैं।
शुभ मुहूर्त
पुण्य काल आरंभ : प्रातः 06.42 मिनट से
पुण्य काल समाप्त : सायं 05.18 मिनट तक
तिल-खिचड़ी-कपड़े दान का महत्व
मकर संक्रांति पर सुबह गंगा स्नान और गरीबों व जरूरतमंदों को तिल, खिचड़ी, कपड़े का दान करना चाहिए। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर तिल का दान करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है और नहाने के बाद सूर्य को जल अर्पित करने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है।
शादी, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य हो सकेंगे आरंभ
सूर्य जब धनु राशि में यात्रा करते हैं तो उस समय खरमास लग जाता है और शुभ कार्य वर्जित हो जाता है। वहीं, सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सभी तरह के मांगलिक कार्यों की शुरुआत होने लगेगी। खरमास खत्म होते ही शादी, मुंडन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।