नोएडा में डॉक्टर को 7 घंटे तक बनाया बंधक,पुलिस अफसर बन 46 लाख की ठगी

नोएडा में डॉक्टर को 7 घंटे तक बनाया बंधक,पुलिस अफसर बन 46 लाख की ठगी
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नोएडा। नोएडा में डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया है। जहां सुरभी नाम की डॉक्टर से 46 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। साइबर अपराधियों और ठगों ने करीब 24 घंटो तक खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बना कर उन्हें skype ID के जरिये वीडियो कॉल पर जबरन जोड़े रखा। उन्होंने फैडेक्स कोरियर सर्विस से कॉल कर ठगी की इस वारदात को अंजाम दिया। अब कस्टम और मुंबई क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है।

पीड़िता ने सुनाई आपबीती
पीड़िता डॉक्टर ने कहा, ‘उन्होंने कॉल कर धमकाया। मनी लाउंड्रिंग केस में फसाने की धमकी दी। उन्होंने कहा कि पार्सल में पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड, MDMA ड्रग मिला है। इसमें कॉपरेट न करने पर जेल जाना पड़ेगा। मुझे वकील से बात करने को रोका गया। मुझे स्काइप एप से जोड़कर 7 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किया।’

साइबर क्राइम थाने में FIR
डॉक्टर सुरभि ने अब साइबर क्राइम थाने में FIR कराई है। अब धारा 420, 419 और 66D IT एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है। मामले की जांच जारी है।

ऐसा मामला
इससे पहले नवंबर 2023 में साइबर अपराधियों ने नोएडा सेक्टर-34 निवासी महिला आईटी इंजीनियर को डिजिटली अरेस्ट कर आठ घंटे तक डराकर घर में ही बंधक बनाकर रखा था। आरोपियों ने उसको मनी लॉड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर 11 लाख ऐंठ लिए थे। इंजीनियर ने साइबर क्राइम थाने में केस दर्ज कराया था। तब पुलिस ने इसे डिजिटल अरेस्ट का केस बताया था।

उस समय थाना प्रभारी रीता यादव ने बताया था कि सेक्टर-34 स्थित धवलगिरी सोसाइटी निवासी सीजा टीए के पास 13 नवंबर को एक फोन आया और कॉलर ने खुद को टेलीफोन रेगुलेटरी ऑफ इंडिया का अधिकारी बताया। आरोपी ने कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके सिम कार्ड खरीदा गया है। इसका इस्तेमाल मनी लॉड्रिंग में हुआ है। इस सिम का इस्तेमाल कर दो करोड़ रुपये निकाले गए हैं। इसके बाद उसने आगे की जांच का हवाला देकर कॉल ट्रांसफर कर दी।

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इसके बाद स्काइप कॉल कर कथित रूप से एक तरफ मुंबई पुलिस, दूसरी तरफ क्राइम ब्रांच और कस्टम के अधिकारी बनकर युवती को डराया धमकाया गया। करीब आठ घंटे तक स्काइप कॉल से युवती की निगरानी कर उसे घर में ही बंधक बना कर रखा गया। इस दौरान इंजाीनियर से कई सवाल पूछे गए और किसी से बात नहीं करने दिया गया। आखिर में उसे कानूनी पचड़े में फंसने से बचाने के नाम पर आरोपियों ने खाते में 11 लाख रुपये ट्रांसफर कराए थे।

क्या होता है डिजिटल एरेस्ट?
उस केस में पांच पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की थी। सभी वर्दी में थे, उनके पीछे दीवार पर पुलिस का झंडा लगा था। आरोपियों ने उनके सारे दस्तावेजों की ऑनलाइन ही जांच की। आरोपियों ने युवती के पास जिस नंबर से फोन किया, वो लखनऊ के एक थाने का था। आरोपियों ने फोन नंबर का स्पूफिंग (हैक) करके इस्तेमाल किया था।

साइबर एक्सपर्ट की मानें तो डिजिटली अरेस्ट मे किसी व्यक्ति को उनके मोबाइल फोन पर डाउनलोड ऐप से लगातार जुड़े रहने को मजबूर किया जाता है। ऐप पर लगातार चैटिंग, ऑडियो-वीडियो कॉल कर उसे ऐप से लॉग आउट नहीं होने दिया जाता है। डरा धमकाकर रुपये भी ऐंठे जाते हैं।


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