ED ने धोखाधड़ी केस में IFS अफसर के खिलाफ दायर की चार्जशीट

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नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को कहा कि उसने निवेश धोखाधड़ी से जुड़े कथित धन शोधन मामले में भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी निहारिका सिंह, उनके पति और उनकी कंपनियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। लखनऊ की एक विशेष अदालत ने 25 नवंबर को अभियोजन पक्ष की शिकायत (आरोपपत्र) का संज्ञान लिया। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि यह 2 सितंबर को दायर किया गया था। आईएफएस अधिकारी, उनके पति अजीत कुमार गुप्ता,अनी बुलियन एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, अनी कमोडिटी ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड और अनी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोपपत्र में आरोपी बनाया गया है।

ईडी के अनुसार, 21 फरवरी 2020 से 26 अक्टूबर 2020 के बीच लोगों को धोखा देने के इरादे से ‘धोखाधड़ी’वाली योजनाओं में निवेश करने के लिए लोगों को ‘लालच’ देकर 110 करोड़ रुपये की जालसाजी करने के लिए गुप्ता और कई अन्य व्यक्तियों/संस्थाओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज 33 प्राथमिकियों का संज्ञान लिए जाने के बाद 2019 में धनशोधन की जांच शुरू की गई थी।

12 मामलों में 25 आरोपपत्र भी दायर किए हैं
एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुप्ता ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर अपने स्वामित्व वाली कंपनी एनी बुलियन ट्रेडर के माध्यम से दैनिक जमा योजनाओं, मासिक आवर्ती जमा योजनाओं और सावधि योजनाओं जैसी ‘धोखाधड़ी’वाली योजनाओं को शुरू करके भोले-भाले निवेशकों से भारी मात्रा में धन जमा किया, जिसमें 40 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ‘अत्यधिक’रिटर्न का वादा किया गया था। आरोपी इस दर से धन नहीं लौटा सके।

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जांच में पाया गया कि बाद में गुप्ता ने आई विजन क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के खाते का इस्तेमाल करके अपने करीबी सहयोगी उक्त सोसाइटी के पदाधिकारियों के माध्यम से निवेशकों से पैसे इकट्ठा करना शुरू कर दिया।

जांच में पाया गया कि इस निवेश राशि को कभी वापस नहीं किया गया और निर्दोष लोगों से 60 करोड़ रुपये की ठगी की गई। ईडी ने कहा, ‘‘अजीत गुप्ता द्वारा भोले-भाले निवेशकों को लुभाकर उनसे अर्जित अपराध की आय को एनी ग्रुप की विभिन्न कंपनियों के माध्यम से जमा किया गया और खुद के लिए तथा अपनी आईएफएस पत्नी निहारिका सिंह एवं अन्य के नाम पर घर, कृषि भूमि आदि जैसी विभिन्न अचल संपत्तियों की खरीद के लिए इस्तेमाल किया गया।’ इस मामले में ईडी ने पहले 9 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां जब्त की थीं।


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