जानलेवा ठंड का असर दिल और दिमाग पर, सिकुड़ रही नसें

जानलेवा ठंड का असर दिल और दिमाग पर, सिकुड़ रही नसें
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गोरखपुर | 10 दिनों से शुरू हुई तेज ठंड ने लोगों के दिल और दिमाग पर असर डालना शुरू कर दिया है। अस्पतालों में एक्यूट हार्ट अटैक के मरीज 30 से 35 फीसदी बढ़ गए हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक के आठ से 10 मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं। दिमाग की नसों में खून का थक्का जमने से ब्रेन स्ट्रोक (लकवा) के औसतन तीन से चार मरीज रोज पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बच कर रहें, यह मौसम ज्यादा जानलेवा है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कुणाल सिंह ने बताया कि सुपर स्पेशियलिटी में चलने वाली ओपीडी में हर दिन 50 से 60 मरीज आ रहे हैं। इनमें 20 से 25 फीसदी मरीज एक्यूट हार्ट अटैक के हैं। इन मरीजों को एंजियोप्लास्टी करनी पड़ रही हैं।

बताया कि इस मौसम में हार्ट की नसों के सिकुड़ने का खतरा अधिक रहता है। ठंड में अन्य अंगों की तरह हार्ट की नसें सिकुड़ती हैं। खून भी गाढ़ा होता है। ऐसे में जिन मरीजों को दिल की आर्टरी (नसें) में पहले से कुछ ब्लॉकेज है, उन्हें हार्ट अटैक का खतरा 90 फीसदी है। बताया कि इसमें युवाओं की संख्या अधिक है। 25 से 30 फीसदी युवा हैं, जिन्हें हार्ट अटैक की दिक्कतें हैं।

बताया इसका बड़ा कारण लोगों में धूम्रपान की आदत, बिगड़ा खानपान और तनाव है। प्रदूषण और धूम्रपान की वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के न्यूरो मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुमित ने बताया कि ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों को इस वक्त ज्यादा खतरा है। क्योंकि बीपी इस मौसम में ज्यादा अप और डाउन होता है। जो ब्रेन स्ट्रोक का बड़ा कारण होता है।

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ऐसे मरीज पिछले 10 दिनों के अंदर बढ़े हैं। हर दिन 10 से 15 मरीज ब्रेन स्ट्रोक के आ रहे हैं। जिला अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि हर दिन 25 से 30 फीसदी मरीज हार्ट-अटैक के आ रहे हैं। वहीं, डॉ. कुणाल ने बताया कि इमरजेंसी ओपीडी न चलने की वजह से ऐसे मरीज सुपर स्पेशियलिटी में नहीं आ रहे हैं।

हर दिन दो से तीन मौतें
बीआरडी के ट्रॉमा सेंटर की बात करें तो हर दिन 50 से 60 मरीज इमरजेंसी में आ रहे हैं। इनमें दो से तीन मौतें प्रतिदिन हो रही हैं। इनमें ज्यादातर को दिक्कत हार्ट और ब्रेन स्ट्रोक की है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. महिम मित्तल ने बताया कि मौत का सही कारण तब पता चल पाएगा, जब पोस्टमार्टम होगा।

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. कुणाल सिंह ने कहा कि पहली बार हार्ट-अटैक आने पर खतरा कम रहता है। इस दौरान एंजियोग्रॉफी से यह पता कर लिया जाता है कि ब्लाकेज कितना है। दूसरा कम खतरनाक होता है। लेकिन, तीसरे पर अटैक आने पर जान चली जाती है।

एमडी फिजिशियन डॉ. अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि बीपी और शुगर के मरीज ज्यादा सावधानी बरतें। अगर उनका बीपी अप और डाउन रह रहा है, तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। इस बीमारी से पीड़ित मरीज सुबह और शाम खुले में टहलने से बचें।


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