सबके चहेते ‘गजोधर भैया’ ने दुनिया को कहा अलविदा,दी अलग पहचान
नई दिल्ली। जब भी स्टैंडअप कॉमेडी का जिक्र होता है सबसे पहले जहन में राजू श्रीवास्तव का नाम जरूर आता है। स्टैंडअप की दुनिया अपनी अलग पहचान बनाने वाले कॉमेडियन ने आज दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। सबको हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव हार्ट अटैक आने के बाद कई दिनों तक AIIMS में भर्ती में भर्ती थे। डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था।
राजू श्रीवास्तव का जन्म 25 दिसंबर 1963 में कानपुर में हुआ था। उनका असली नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। उन्होंने राजू श्रीवास्तव के नाम से अपनी पहचान बनाई। परिवार की बात करें तो 1993 में राजू श्रीवास्तव ने शिखा श्रीवास्तव से शादी की थी। उनके दो बच्चे हैं। राजू श्रीवास्तव अपनी पर्सनल लाइफ प्राइवेट ही रखना पसंद करते थे वे कभी-कभी ही परिवार के साथ कोई तस्वीर सोशल मीडिया पर डालते थे।
‘गजोधर भैया’ ने खूब हंसाया
कानपुर शहर के रहने वाले राजू का अंदाज लोगों को काफी पसंद था। उनके स्टेज में आते ही ठहाकों की बरसात होने लगती थी। राजू श्रीवास्तव ने वैसे तो कई फिल्मों में काम किया है लेकिन उन्हें असली पहचान टीवी से मिली थी। कॉमेडी में उनकी टाइमिंग और किसी भी किरदार में रच बस जाना सभी को खूब पसंद आता था। राजू श्रीवास्तव ने स्टेज पर कभी जीजा बनकर सालियों संग खूब अठखेलियां की तो कभी फूफा बन नाराजगी भी जाहिर की। इन सबसे अलग उनके ‘गजोधर भैया’ के किरदार को भला कौन भुला सकता है। किरदार जो भी हो राजू श्रीवास्तव ने लोगों को हंसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
टीवी से मिली पहचान
वैसे तो वह स्कूल के समय से ही मिमक्री करते थे, लेकिन उन्हें असली पहचान 2005 में ‘लाफ्टर चैलेंज’ में आने के बाद मिली थी। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया। बॉम्बे टू गोवा, भावनाओं को समझो, मैं प्रेम की दीवानी हूं जैसी अनेकों फिल्मों में राजू की कॉमेडी लाजवाब थी। उन्हें बॉलीवुड इंडस्ट्री में तीन दशक से ज्यादा समय हो चुका था और तीस सालों से वो लगातार काम कर रहे थे।
राजनीति में भी राजू ने मारी थी एंट्री
राजनीति की बात करें तो 2014 में अखिलेश यादव की पार्टी की तरफ से उन्हें चुनाव लड़ने का मौका मिला था। मगर 11 मार्च 2014 को समाजवादी पार्टी छोड़कर राजू भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ गए थे। राजू श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद के चेयरमैन थे। स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम को संभालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका नाम नामांकित किया था।