प्रेग्नेंट महिला और उसके बच्चे के लिए कितना खतरनाक है हेपटाइटिस-बी
नई दिल्ली। दुनियाभर में हर साल 19 अप्रैल को लिवर की सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ‘वर्ल्ड लिवर-डे’ मनाया जाता है। लेकिन आज इस खास मौके पर बात लिवर की नहीं बल्कि लिवर से जुड़े एक ऐसे रोग की करेंगे जिसका असर सीधा लिवर पर पड़ता है। जी हां और इस बीमारी का नाम है हेपेटाइटि-बी। हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है,जो वायरल इन्फेक्शन की वजह से होती है। इस रोग की वजह से लीवर में सूजन तक आ जाती है। दरअसल,हेपाटाइटिस के 5 प्रकार के वायरस होते हैं, जैसे-ए,बी,सी,डी और ई। लेकिन इन सब वायरस में हेपेटाइटिस का टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रोनिक बीमारी का कारण बन रहे हैं। जिसकी वजह से लोग लीवर सिरोसिस और कैंसर रोगी बन रहे हैं।
क्या है हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी एक संक्रामक बीमारी है। जिसकी वजह से लीवर में सूजन और जलन पैदा होती है। हेपेटाइटिस बी को एचआईवी से भी अधिक घातक माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका बैक्टीरिया बॉडी के बाहर भी कम से कम 7 दिन तक जिंदा रहकर किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। हेपेटाइटिस के बाकी सभी वायरस में सबसे खतरनाक वायरस ‘बी’ माना जाता है।
कैसे होता है हेपेटाइटिस-बी-
हेपेटाइटिस-बी का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में या तो संक्रमित सूई या फिर असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से फैल सकता है। इसके अलावा बचपन में संक्रमित टूथब्रश, इंजेक्शन,टैटू या बॉडी पियरसिंग के लिए इस्तेमाल की गई दूषित सुई से भी हो सकता है। इस बात की संभावना बनी रहती है कि गर्भवती महिला से उसके होने वाले बच्चे में हेपेटाइटिस बी पहुंच सकता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण-
-एक से तीन हफ्ते तक पीलिया
-यूरीन का रंग बदलना
-10 दिनों तक फ्लू जैसे लक्षण जैसे थकान और बदन दर्द आदि की शिकायत।
-उल्टी या जी मिचलाना
-पेट दर्द और सूजन
-खुजली
-भूख ना लगना या कम लगना
-अचानक से वज़न कम हो जाना
प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस-बी होने से खतरे-
-प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को हेपेटाइटिस-बी होने से समय से पहले बच्चे का जन्म होने का खतरा बना रहता है।
-प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस-बी होने से नवजात कम वजन के साथ पैदा हो सकता है।
-प्रेग्नेंसी में हेपेटाइटिस बी होने से डायबिटीज होने का खतरा भी बना रहता है।
-प्रेग्नेंसी के दौरान हेपेटाइटिस-बी होने से अत्यधिक रक्त स्त्राव का खतरा भी बना रहता है।
जन्म लेने वाले बच्चे को हेपेटाइटिस बी से ऐसे बचाएं-
गर्भावस्था के दौरान होने वाली मां अगर हेपेटाइटिस बी से पीडित है तो बीमारी का वायरस उसके होने वाले शिशु तक भी पहुंच सकता है। ऐसे में संक्रमित गर्भवती महिला को नवजात के जन्म के समय हेपेटाइटिस बी का टीका जरूर लगवाना चाहिए।
-जन्म के एक माह बाद बच्चे को दोबारा टीका लगवाएं। इसके बाद दो माह का होने पर और उसके बाद एक साल का होने पर एक-एक टीका और लगवाएं।
-बच्चे के एक साल का होने पर उसका ब्लड टेस्ट करावाएं ताकि बैक्टीरिया की स्थिति पता चल सके। बच्चे के पांच साल का होने पर डॉक्टर बच्चे को टीके की बूस्टर खुराक दिलवाने की सलाह देते हैं।