INLD-BSP के कितने ठाठ हरियाणा में,क्या खड़ी कर पाएंगे कांग्रेस-बीजेपी की खाट?

INLD-BSP के कितने ठाठ हरियाणा में,क्या खड़ी कर पाएंगे कांग्रेस-बीजेपी की खाट?
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की खुमारी पूरी तरह से उतरने के बाद अब पार्टियों का अगला पड़ाव विधानसभा चुनाव होने वाला है। इसी कड़ी में हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़ी एक दिलचस्प घटना सामने आई है। इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया है। असल में इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि हम हरियाणा में अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियां बनाने वाले लोगों को साथ लाएंगे, जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ हैं और हम एक ऐसा मोर्चा बनाएंगे, जिसमें लोगों का भरोसा बढ़ेगा और आने वाले समय में इस राज्य में गठबंधन की सरकार बनेगी।

असल में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने का ऐलान किया है। INLD नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा कि आम आदमी की भावना यह है कि 10 साल से इस राज्य को लूटने वाली बीजेपी को सत्ता से हटाया जाए और कांग्रेस पार्टी को सत्ता से दूर रखा जाए। उन्होंने कहा कि हम हरियाणा में अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियां बनाने वाले लोगों को साथ लाएंगे, जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के खिलाफ हैं और हम एक ऐसा मोर्चा बनाएंगे, जिसमें लोगों का भरोसा बढ़ेगा और आने वाले समय में इस राज्य में गठबंधन की सरकार बनेगी।

90 विधानसभा सीट:बसपा 37,बाकी इनेलो
दोनों दलों के बीच हुए सीटों के बंटवारे के तहत हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों में से बसपा 37 पर चुनाव लड़ेगी जबकि बाकी की सीटों पर इनेलो चुनाव लड़ेगी। इनेलो नेता अभय चौटाला गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा भी होंगे। चंडीगढ़ के बाहरी इलाके नयागांव में बसपा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अभय चौटाला ने कहा कि यह गठबंधन स्वार्थी हितों पर आधारित नहीं है बल्कि लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

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मैदान में कूद रही इनेलो-बसपा
अभी से ही दोनों पार्टियों ने वादों की झड़ी लगा दी है। यह समझने की जरूरत है कि इन दोनों दलों की वहां ताकत क्या है और दोनों पार्टियां किस वोट बैंक को प्रभावित करने में सक्षम हैं। यह भी जानना जरूरी है कि ये दोनों बीजेपी और कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचा पाएंगी। यह बात सही है कि बसपा लोकसभा चुनाव 2024 में अपने पुराने गढ़ यूपी में एक भी सीट नहीं जीत सकी। बसपा को 1।28 और इनेलो को 1।74 फीसदी वोट मिले थे। विधानसभा में भी पार्टी का सिर्फ एक ही विधायक है। वहीं दूसरी तरफ इनेलो भी अपने वजूद के लिए लड़ रही है।

बसपा निगाहें दलित वोटर्स पर होंगी जबकि इनेलो अपने जाट कोर वोट बैंक को रिझाने का प्रयास करेगी। लेकिन फिलहाल बीजेपी कांग्रेस के लिए कोई मुश्किल खड़ी होती नहीं दिख रही है। जब पहली बार इनका गठबंधन हुआ था तो उस जमाने में दोनों पार्टियों ने सीटें जीती थीं। लेकिन हाल के समय में हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस अब मुख्य प्लेयर हैं। यह भी तथ्य है कि इनेलो में ही फूट के बाद ही जेजेपी अस्तित्व में आई थी और खट्टर सरकार में दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम थे। अब जबकि इनेलो बीजेपी-कांग्रेस के खिलाफ गठबंधन बना चुकी है तो कम संभावना है कि जेजेपी इसमें शामिल होगी। अभी तक जेजेपी ने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन वह भी दमखम से मैदान में उतरेगी।

इनेलो-बसपा में गठबंधन
यह संयोग ही है कि फरवरी 2019 में बसपा ने इनेलो के साथ अपना करीब नौ माह पुराना गठबंधन तोड़ दिया था। इनेलो उस वक्त हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल था। चौटाला परिवार में फूट के बीच यह कदम उठाया गया था। सबसे पहले 1996 के लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन हुआ था। तब INLD ने सात और BSP ने तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। फिर दूसरी बार गठबंधन साल 2018 में हुआ। लेकिन उसी समय अगले विधानसभा चुनाव से पहले ही टूट गया था।

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क्या बोलीं मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि बहुजन समाज पार्टी व इण्डियन नेशनल लोकदल मिलकर हरियाणा में होने वाले विधानसभा आम चुनाव में वहां की जनविरोधी पार्टियों को हराकर अपने नये गठबंधन की सरकार बनाने के संकल्प के साथ लड़ेंगे। मायावती ने कहा कि हरियाणा में सर्व समाज-हितैषी जन कल्याणकारी सरकार बनाने के संकल्प के कारण इस गठबंधन में एक-दूसरे को पूरा आदर-सम्मान देकर सीटों आदि के बंटवारे में पूरी एकता व सहमति बन गई है। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह आपसी एकजुटता जन आशीर्वाद से विरोधियों को हरा कर नई सरकार बनाएगी।

चुनावी गणित
वैसे तो हरियाणा विधानसभा की मौजूदा सदस्य संख्या 88 है जिनमें बीजेपी के पास 40 विधायक हैं। बीजेपी सरकार को पहले जेजेपी और स्वतंत्र विधायकों का समर्थन हासिल था लेकिन बाद में जेजेपी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था। निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी सरकार का साथ छोड़ दिया है। वहीं कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। जेजेपी की 10, इनेलो की एक, हरियाणा लोकहित पार्टी की एक सीट है जबकि सात विधायक निर्दलीय हैं। यह मौजूदा आंकड़ा है जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 41 सीटें जीती थी जबकि कांग्रेस ने 30, जेजेपी 10 सीटें जीती थी और 9 सीटें निर्दलीय के खाते में आई थी।


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