आइआइटी बीएचयू के छात्रों ने स्वचालित वाहन बनाया जिसको देख कर आप भी रह जायेंगे दंग

आइआइटी बीएचयू के छात्रों ने स्वचालित वाहन बनाया जिसको देख कर आप भी रह जायेंगे दंग
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वाराणसी । भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आइआइटी बीएचयू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग चतुर्थ वर्ष के छात्रों ने एक ऐसा इलेक्ट्रिक स्वचालित चार पहिया वाहन डिजाइन किया है जो एक यूनिट बिजली में 465.1 किमी की यात्रा तय कर सकता है। यह अब तक किसी इलेक्ट्रिक वाहन द्वारा प्राप्त एशिया की दूसरी व भारत की पहली सर्वोच्च दक्षता है। वाहन सोमवार से परिसर में आरंभ आइ-डीएपीटी हब के दो दिवसीय पिच चैलेंज में आकर्षण का केंद्र बना

इसकी खूबी यह कि स्वयं से चल सकता है, स्वयं से ब्रेक लगा सकता है और स्वयं से ही अपनी गति आवश्यकतानुसार तेज या कम कर सकता है। यह वाहन कई विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में भी सराहना पाकर स्थान बना चुका है और पुरस्कृत हो चुका है। आइआइटी बीएचयू ने इस पर कई पेटेंट और शोध पत्र दाखिल किए हैं।

इसे बनाने वाली टीम अवेरेरा आइआइटी बीएचयू के राहुल ने बताया कि यह वाहन फिलहाल कार्बन फाइबर से हाइपर-एरोडायनामिक डिजाइन में बनाया गया है। टीम ने मोटर व मोटर नियंत्रकों पर नवाचार किया है और उच्च दक्षता प्राप्त करने के लिए इसे ट्यून किया है। हमारी टीम भारतीय सड़कों की स्थिति के लिए स्वचालित स्वायत्त वाहन बना रही है। हमने जून में स्वायत्त वाहन के पहले चरण का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। वाहन ने बिना किसी मैनुअल सहायता के एक स्थान से दूसरे स्थान तक सफलतापूर्वक दूरी तय किया।

वाहन में सेंसर, कैमरा, 2-डी राडार सेंसर, आन-बोर्ड कंप्यूटर और कंट्रोलर लगाया गया है। यह सारा कार्य टीम एवरेरा के प्रो. अमितेश कुमार और डा. आरके सिंह के मार्गदर्शन में हुआ है। इस स्वायत्त वाहन परियोजना के लिए, टीम को आइ-डीएपीटी हब आइआइटी बीएचयू द्वारा 30 लाख भारतीय रुपये प्राप्त हुए थे।

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आइआइटी बीएचयू की टीम अवेरेरा विद्युत चालित स्वायत्त वाहन के विकास में वर्ष 2013 से लगी हुई है। टीम स्वयं द्वारा डिजाइन वाहन के साथ और अंतरराष्ट्रीय शेल इको-मैराथन में भाग ले चुकी है। वर्ष 2018-19 में मलेशिया में हुए शेल इको-मैराथन एशिया में टीम ने भारत की सर्वाेच्च दक्षता 465.1 किमी प्रति किलोवाट घंटा हासिल किया और दूसरे स्थान पर रही। पिछले वर्ष 2021 में हुए वर्चुअल शेल इको-मैराथन में टीम ने विश्व स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया था।

राहुल ने बताया कि भविष्य में इस वाहन को तकनीकों से लैश कर और भी उन्नत बनाने के प्रयास जारी हैं। टीम इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एकीकृत कर कंप्यूटर विजन और राडार को और उन्नत करने में जुटी है। ताकि वाहन मार्ग की किसी प्रकार की बाधा का निवारण स्वयं कर सके। इसके लिए पथ नियोजन लिपियों, स्थानीयकरण और मानचित्रण तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। सफल परीक्षण के बाद वाहन इसे शहरी सड़कों पर चलने के लिए उतारा जाएगा। इसे बनाने वाली टीम में राहुल के अलावा अथर्व, प्रतीक अग्रवाल, शुभ, उत्कर्ष, प्रतीक, नैतिक, प्रथमेश, जयनिल, सिद्धांत, यश, नचिकेता आदि शामिल हैं।

इसकी खूबी यह कि स्वयं से चल सकता है, स्वयं से ब्रेक लगा सकता है और स्वयं से ही अपनी गति आवश्यकतानुसार तेज या कम कर सकता है। यह वाहन कई विश्वस्तरीय प्रतियोगिताओं में भी सराहना पाकर स्थान बना चुका है और पुरस्कृत हो चुका है। आइआइटी बीएचयू ने इस पर कई पेटेंट और शोध पत्र दाखिल किए हैं।

इसे बनाने वाली टीम अवेरेरा आइआइटी बीएचयू के राहुल ने बताया कि यह वाहन फिलहाल कार्बन फाइबर से हाइपर-एरोडायनामिक डिजाइन में बनाया गया है। टीम ने मोटर व मोटर नियंत्रकों पर नवाचार किया है और उच्च दक्षता प्राप्त करने के लिए इसे ट्यून किया है। हमारी टीम भारतीय सड़कों की स्थिति के लिए स्वचालित स्वायत्त वाहन बना रही है। हमने जून में स्वायत्त वाहन के पहले चरण का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। वाहन ने बिना किसी मैनुअल सहायता के एक स्थान से दूसरे स्थान तक सफलतापूर्वक दूरी तय किया।

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वाहन में सेंसर, कैमरा, 2-डी राडार सेंसर, आन-बोर्ड कंप्यूटर और कंट्रोलर लगाया गया है। यह सारा कार्य टीम एवरेरा के प्रो. अमितेश कुमार और डा. आरके सिंह के मार्गदर्शन में हुआ है। इस स्वायत्त वाहन परियोजना के लिए, टीम को आइ-डीएपीटी हब आइआइटी बीएचयू द्वारा 30 लाख भारतीय रुपये प्राप्त हुए थे।

आइआइटी बीएचयू की टीम अवेरेरा विद्युत चालित स्वायत्त वाहन के विकास में वर्ष 2013 से लगी हुई है। टीम स्वयं द्वारा डिजाइन वाहन के साथ और अंतरराष्ट्रीय शेल इको-मैराथन में भाग ले चुकी है। वर्ष 2018-19 में मलेशिया में हुए शेल इको-मैराथन एशिया में टीम ने भारत की सर्वाेच्च दक्षता 465.1 किमी प्रति किलोवाट घंटा हासिल किया और दूसरे स्थान पर रही। पिछले वर्ष 2021 में हुए वर्चुअल शेल इको-मैराथन में टीम ने विश्व स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया था।

राहुल ने बताया कि भविष्य में इस वाहन को तकनीकों से लैश कर और भी उन्नत बनाने के प्रयास जारी हैं। टीम इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एकीकृत कर कंप्यूटर विजन और राडार को और उन्नत करने में जुटी है। ताकि वाहन मार्ग की किसी प्रकार की बाधा का निवारण स्वयं कर सके। इसके लिए पथ नियोजन लिपियों, स्थानीयकरण और मानचित्रण तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। सफल परीक्षण के बाद वाहन इसे शहरी सड़कों पर चलने के लिए उतारा जाएगा। इसे बनाने वाली टीम में राहुल के अलावा अथर्व, प्रतीक अग्रवाल, शुभ, उत्कर्ष, प्रतीक, नैतिक, प्रथमेश, जयनिल, सिद्धांत, यश, नचिकेता आदि शामिल हैं।


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