भारत बनाम पाकिस्तान और चीन: बदलते समीकरण,वैश्विक संतुलन
टिप्पणी: डॉ राज कुमार सिंह – सम्पादक www.janwarta.com
यदि भारत-पाक युद्ध की स्थिति में चीन पाकिस्तान के साथ खड़ा होता है, तो यह केवल सीमाई संघर्ष नहीं रहेगा, बल्कि एक गंभीर भू-राजनीतिक चेतावनी बन जाएगा। चीन-पाक गठबंधन भारत के लिए दोहरे मोर्चे की रणनीतिक चुनौती पेश करता है — एक ओर सैन्य दबाव और दूसरी ओर आर्थिक व कूटनीतिक घेराबंदी।
चीन के इस समर्थन के पीछे उसके रणनीतिक हित जुड़े हैं जैसे CPEC, ग्वादर पोर्ट और दक्षिण एशिया में भारत के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश। भारत को चाहिए कि वह सैन्य ताकत के साथ-साथ आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण, तकनीकी उन्नयन और आंतरिक एकता पर भी ध्यान केंद्रित करे।
इस जटिल परिदृश्य में अमेरिका और जापान जैसे वैश्विक सहयोगियों की भूमिका अहम हो जाती है। अमेरिका रणनीतिक साझेदारी और खुफिया सहयोग के जरिए भारत का समर्थन कर सकता है, जबकि जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए भारत के साथ आर्थिक और समुद्री सहयोग को आगे बढ़ा सकता है।
आज भारत को न केवल सीमाओं पर सतर्क रहना है, बल्कि वैश्विक कूटनीति में भी मज़बूती से आगे बढ़ना है। यह समय है कि हम राष्ट्रीय एकता और वैश्विक सहयोग से हर चुनौती का सामना करें — बुद्धिमत्ता से, साहस से और एकजुटता से।
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