भारतीय रेलवे ने रद्द कर दी 100 वंदे भारत की डील,कितने में तैयार होती है एक ट्रेन?
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे की तरफ से वंदे भारत ट्रेनों को ज्यादा से ज्यादा रूट पर चलाने की तैयारी की जा रही है। इस बीच बड़ी खबर यह आ रही है कि रेलवे ने 100 एल्युमिनियम बॉडी वाली वंदे भारत ट्रेनों की मैन्युफैक्चरिंग और मेंटीनेंस के लिए निकाले गए 30,000 करोड़ रुपये के टेंडर को रद्द कर दिया है। मनीकंट्रोल में प्रकाशित खबर के अनुसार इस बारे में एल्सटॉम इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर ओलिवियर लोइसन ने जानकारी दी। हालांकि,उन्होंने कहा कि कंपनी ने देश में काफी निवेश किया है। आने वाले समय में यदि मौका मिला तो इस प्रोजेक्ट में मदद करने के लिए तैयार है।
140 करोड़ रुपये में टेंडर देने की मंशा
रेलवे अधिकारियों के अनुसार टेंडर पैनल को फ्रांसीसी कंपनी एल्सटॉम की बोली बहुत ज्यादा लगी। कंपनी ने एक ट्रेन सेट की कीमत 150.9 करोड़ रुपये बताई थी। लेकिन रेलवे की मंशा है कि यह कीमत 140 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं हो। हालांकि एल्सटॉम 145 करोड़ रुपये पर इसके लिए तैयार थी। 30,000 करोड़ रुपये के टेंडर के लिए सबसे कम बोली एल्सटॉम ने ही लगाई थी। कंपनी ने 30 मई 2023 को हुई बोली में 100 वंदे भारत ट्रेन सेट बनाने को लेकर इच्छा जताई थी।
अच्छी कीमत पर कॉन्ट्रैक्ट पाने की कोशिश!
एक अधिकारी ने बताया कि इस कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने से रेलवे को अच्छी कीमत पर ट्रेन की डिलीवरी पाने के लिए ज्यादा समय मिल जाएगा। इसके अलावा बोली लगाने वाली कंपनियों को भी जरूरी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज तैयार करने के लिए अच्छा मौका मिल जाएगा। हालांकि इस बारे में रेलवे मिनिस्ट्री की तरफ से किसी प्रकार का आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
जुलाई 2023 में एल्सटॉम के सीईओ हेनरी पुपार्ट-लाफार्ज ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि कंपनी प्रोजेक्ट के लिए नई एल्युमिनियम टेक्नोलॉजी का यूज करेगी। पिछले साल लाफार्ज ने कहा था कि कंपनी ने प्रोजेक्ट के लिए अच्छी कीमत दी है। एक अधिकारी के अनुसार इससे पहले 200 स्टेनलेस स्टील वंदे भारत स्लीपर ट्रेन सेट बनाने का कॉन्ट्रैक्ट 120 करोड़ रुपये ट्रेन के हिसाब से दिया गया था। एक अधिकारी ने यह भी कहा कि सबसे अच्छी कीमत पाने के लिए कंपनियों के बीच कंप्टीशन जरूरी है। उन्होंने बताया कि अगली बार कई कंपनियां टेंडर में हिस्सा ले सकेंगी। इस बार केवल दो कंपनियों ने ही हिस्सा लिया था।
35 साल के मेंटीनेंस के लिए 17000 करोड़ रुपये
अधिकारी ने बताया कि टेंडर में शामिल होने के लिए कंपनियों के पास रिसर्च और डेवलपमेंट की सुविधा जरूर होनी चाहिए। ताकि वे एक नमूना ट्रेन बना सकें। इसके अलावा,उनके पास हर साल कम से कम पांच ट्रेन सेट बनाने की क्षमता भी होनी चाहिए। कुल मिलाकर सात साल में 100 ट्रेन सेट डिलीवर करने होंगे। कॉन्ट्रैक्ट की शर्त के अनुसार जीतने वाली कंपनी को ट्रेन सेट देने पर 13,000 करोड़ रुपये मिलेंगे और बाकी 17,000 करोड़ रुपये 35 साल तक मेंटेनेंस के लिए दिए जाएंगे।
एल्युमिनियम से बनी ट्रेन स्टेनलेस स्टील के मुकाबले हल्की और पावर बचाने वाली होती हैं। रेलवे का प्लान है कि उसकी तरफ से वंदे भारत ट्रेनों का पहला स्लीपर वर्जन 2025 की पहली तिमाही तक शुरू कर दिया जाएगा। अब तक 102 चेयर कार और 200 स्लीपर वंदे भारत ट्रेन बनाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया जा चुका है। वंदे भारत सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है और इसमें 16 ऐसे कोच होते हैं। इसमें अलग से इंजन की जरूरत नहीं होती। इस सिस्टम को ‘डिस्ट्रीब्यूटेड ट्रैक्शन पावर’ कहते हैं, जो यात्री गाड़ियों के लिए दुनियाभर में बहुत पसंद किया जा रहा है। इस तरह की ट्रेनें सामान्य ट्रेनों की तुलना में जल्दी रफ्तार पकड़ती और रुकती हैं। इनमें बेहतर सीटें और 140 सेकंड में 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने जैसी खूबियां हैं।