शिंदे सरकार में मंत्री अब्दुल सत्तार पर भड़की जया बच्चन
मुंबई | समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन और शिवसेना (उद्धव गुट), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कई नेताओं सहित महिला जनप्रतिनिधियों ने सोमवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की और शिंदे सरकार में मंत्री अब्दुल सत्तार की एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले के खिलाफ की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर की। जया बच्चन ने कहा कि वे राज्यपाल से मिले और जल्द ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि महिलाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे लोगों को सरकार से बाहर करके देश के सामने मिसाल कायम करनी चाहिए।
समाचार एजेंसी एएनआई से सपा सांसद जया बच्चन ने कहा, “आज हम राज्यपाल से मिले हैं और हम जल्द ही राष्ट्रपति से भी मिलेंगे। महिलाओं का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राजनेताओं सहित कोई भी व्यक्ति, जो महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करता है, उसे इस तरह दंडित करना चाहिए कि देश के सामने एक मिसाल कायम हो।”
दरअसल, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले की एक टिप्पणी का जवाब देते हुए महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अब्दुल सत्तार ने ऐसा बयान दे डाला था जिसने विवाद खड़ा कर दिया। जया बच्चन ने कहा, “चूंकि सत्तार ने खुद कुछ दिन पहले सुझाव दिया था कि विपक्ष भी खोखे (बक्से) का लाभ उठा सकता है, उन्होंने कहा था कि आरोप का कुछ आधार होना चाहिए।”
गौर हो कि जब इस बारे में सत्तार से पूछा गया था कि उन्होंने सुले के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। उन्होंने जवाब में कहा था कि जो लोग इस तरह के आरोप लगा रहे हैं, उन्हें जांच करवानी चाहिए।
सत्तार को हटाने की मांग तेज
उधर, राज्य के विभिन्न हिस्सों में मंत्री सत्तार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। सत्तार को कैबिनेट से हटाने की मांग को लेकर एनसीपी कार्यकर्ताओं ने नागपुर, पुणे, जलगांव, नासिक, अमरावती, जालना, लातूर, रत्नागिरी, बारामती और नंदुरबार में आंदोलन किया। नासिक शहर में, एनसीपी समर्थकों ने मंत्री के पुतले को जूते से पीटा और उनके खिलाफ नारेबाजी की।
फडणवीस का बयान भी चर्चा में
इस बीच, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष पर अप्रत्यक्ष रूप से तंज कसते हुए कहा कि “दोनों पक्षों को एक आचार संहिता का पालन करना चाहिए। अब्दुल सत्तार ने जो कहा वह गलत था और उसका बचाव नहीं किया जा सकता। हम इस तरह की भाषा के इस्तेमाल का हमेशा विरोध करेंगे। लेकिन एक आचार संहिता भी होनी चाहिए जो दोनों पक्षों पर लागू हो। मैं विवरण में नहीं जाना चाहता।”