जिंदा बेटी के पिंडदान पर बरसे कपिल मिश्रा,बोले-‘Love Jihad में वही बेटियां मारी गईं जिनसे रिश्ते खत्म कर लिए
जबलपुर। जबलपुर में एक युवती ने दूसरे धर्म के युवक से शादी की ली। उसके बाद परिजनों ने उसका शोक संदेश छपवाया और रिश्तेदारों को बुलाकर पिंडदान कर दिया। इसे लेकर पूरे देश भर में चर्चा हुई। अब बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का बयान आया है। उन्होंने लड़की के परिजनों को नसीहत दी है। ट्विटर पर एक वीडियो शेयर कर कपिल मिश्रा ने कहा,’लव जिहाद में वही बेटियां मारी जा रही हैं जिनके परिजनों ने संबंध खत्म कर लिए।
अपने वीडियो मैसेज में कपिल मिश्रा ने कहा- ‘मध्यप्रदेश के जबलपुर से खबर आ रही है एक बिटिया ने किसी और धर्म में शादी कर ली तो, माता-पिता उसका पिंडदान कर रहे हैं। शोक संदेश छपवा कर यह कह रहे हैं कि हमने तो बेटी को मरा हुआ मान लिया । ऐसा कहकर पुत्री का त्याग कर रहे हैं। मैं यह कहना चाह रहा हूं कि यह मत करो। यह महापाप है। ऐसा करना पाप है ज्यादातर लव जिहाद के मामलों में अगर बेटी हिंसा का शिकार होती है, बेटी मारी जा रही है, उसकी हत्या हो रही है तो वह उन्हीं के साथ में ज्यादा हो रहा है जहां पर माता-पिता, भाई-बहन, दोस्तों ने संबंध खत्म कर लिए। बात करनी बंद कर दी, और बेटी को मरने के लिए अकेला छोड़ दिया।’
‘बेटियों को वापस आने दीजिए’
कपिल मिश्रा ने कहा, ‘यह तमाशा करके आप अपने आप को बहुत महान समझ रहे हो। आपने कोई अपने धर्म की बहुत बड़ी रक्षा कर ली, कि बिटिया मर गई। बिटिया को कुपुत्री कह दिया। बिटिया का त्याग कर दिया यह कहां का घमंड है अपने घर का बच्चा है आज गया है क्या पता कल बेटी वापस आना चाहे,तो वापस आने के दरवाजे खिड़कियां खोल के रखिए। बेटियों को वापस आने दीजिए।’
‘बेटियां विक्टिम हैं,अपराधी नहीं’
कपिल मिश्रा ने कहा- चाहे श्रद्धा का केस हो,साक्षी का केस हो ऐसे कितने केसेज हैं। चाहे वह मनोज और सरस्वती का केस हो। बेटी को इतना भरोसा तो दो कोई अब्दुल,कोई मनोज अगर हाथ उठाएगा तो ये रहेगा कि मेरे माता-पिता भाई-बहन का दरवाजा मेरे लिए खुला है। मैं वापस जा सकती हूं इस तमाशे से क्या हासिल होगा? क्या फैलाना चाहते हैं आप समाज में बेटियां पीड़ित हैं। विक्टिम हैं वे अपराधी नहीं हैं। वे शिकार हैं। या तो सच्ची में प्रेम हुआ है और वह जा रही है।
या फिर लव जिहाद में फंसी है। दोनों स्थितियों में संबंध खत्म मत कीजिए। बातचीत बंद मत कीजिए। पिता बात करें,भाई करें, माता करें, नहीं तो कोई दोस्त करे। कोई ना कोई संवाद का चैनल,कम्युनिकेशन का जरिया खुला रखिए। कल बेटी वापस आना चाहेगी तो कोई अब्दुल आपकी बेटी के ऊपर हाथ उठाए तो उसे यह तो पता हो,कि इसका परिवार इसके साथ खड़ा है। इसके मां-बाप इसके साथ खड़े हैं।