जानें आवलें के वृक्ष के निचे खाने का महत्व,क्या होता है अक्षय नवमी

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वाराणसी | अक्षय पुण्य फल की कामना से अक्षय नवमी का पर्व दो नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन किए गए पुण्य और पाप, शुभ-अशुभ समस्त कार्यों का फल अक्षय हो जाता है। ज्योतिषविदों का कहना है कि तीन साल तक लगातार अक्षय नवमी का व्रत उपवास एवं पूजा करने से अभीष्ट की प्राप्ति होती है। 

ज्योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि एक नवंबर को रात्रि 11.05 बजे लगेगी जो दो नवंबर को रात्रि 9.10 बजे तक रहेगी। व्रत दो नवंबर को रखा जाएगा। 

व्रत रखकर भगवान श्री लक्ष्मीनारायण-श्रीविष्णु की पूजा अर्चना तथा आंवले के वृक्ष समीप या नीचे बैठकर भोजन करने की पौराणिक व धार्मिक मान्यता है। इस दौरान भगवान विष्णु का मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय…का जप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। आंवले के वृक्ष की पूजा के बाद आरती और परिक्रमा करनी चाहिए। पूजन के बाद सामर्थ्य अनुसार दान भी दिया जाता है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार, अगर पूजन के लिए आंवले का वृक्ष उपलब्ध न हो तो मिट्टी के नए गमले में पौधा लगाकर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।


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