जानिए कहां है चीन के Spy Ship Yuan Wang 5 की लेटेस्ट पाजीशन, क्यों है ड्रैगन के लिए ये इतना खास
नई दिल्ली। श्रीलंका ने चीन के रिसर्च शिप Yuan Wang 5 को अपने Hambantota Port पर आने की इजाजत दे दी है। भारत इसको लेकर श्रीलंका से अपनी आपत्ति पहले ही जता चुका था। इसके बाद भी श्रीलंका ने इसको इजाजत देकर कहीं न कहीं भारत को नाराज करने का काम किया है। इस शिप को लेकर भारत की नाराजगी की कुछ खास वजह थीं।
चीन के स्पाई शिप की ताजा लोकेशन
Marine Traffic के मुताबिक इसकी ताजा लोकेशन इस पोर्ट की शो हो रही है। ये शिप अधिकतर 22 नाटिकल माइल्स प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकता है। वेसेलफाइंडडाटकाम के मुताबिक इसको स्थानीय समयानुसार हंबनटोटा पोर्ट पर पहुंचना था लेकिन ये स्थानीय समयानुसार दोपहर 2:20 बजे ही पोर्ट पर पहुंच चुका है। इसकी एराइवल काल रिसीव कर ली गई है। इस दौरान इस शिप की रफ्तार 15.2 नाटिकल माइल्स की है। 14 जुलाई 2022 को ये शिप चीन के Taicang Anch से चला था।
Ballistic missile और satellite ट्रैकर है ये शिप
इस शिप को लेकर भारत की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि ये Ballistic missile और satellite tracking शिप है। इसका अर्थ है कि ये इन दोनों के बारे में पता लगा सकता है। ये शिप जब तक यहां पर मौजूद रहेगा भारत की चिंता भी लगातार बनी रहेगी। फिलहाल ये शिप हंबनटोटा पर 22 अगस्त तक लंगर डाले रखेगा। चीन का ये स्पाई शिप वहां की पीएलए की स्ट्रेटेजिक सपोर्ट का बड़ा हिस्सा है। इस शिप पर चार हाईली इक्यूप्ड राडार सिस्टम लगा हुआ है। इसके अलावा ये शिप कई तरह की अत्याधुनिक तकनीक से लैस है, जिसके चलते ये सैटेलाइट और बैलेस्टिक मिसाइल की लोकेशन को पता लगा लेता है।
छिपाकर रखी चीन ने इसकी जानकारी
चीन के लिए ये शिप कितना अहम है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी डिटेल जानकारी कभी चीन ने डिस्क्लोज नहीं की है। इसके बावजूद माना जाता है कि ये शिप 25 हजार टन या उससे भी अधिक वजनी है। इस पर एक बार में 470 क्रू मैंबर्स रह सकते हैं। 222 मीटर लंबा और करीब 26 मीटर चौड़ा ये स्पाई शिप डीजल इंजन से चलता है। इसकी अधिकतक रफ्तार 40 किमी प्रतिघंटे की हो सकती है। मेरीन ट्रेफिक के रिकार्ड के मुताबिक चीन ने इसको Research/Survey Vessel के तौर पर रजिस्टर्ड करवाया हुआ है।
चीन के लिए खास है ये शिप
Yuan Wang श्रेणी के सभी 6 स्पाई शिप्स को चीन बेहद गोपनीय तरीके से इस्तेमाल करता है। इसका इस्तेमाल दुश्मन की पाजीशन को देखने और उसकी रणीति को समझने के लिए किया जाता है। ये शिप थर्ड जनरेशन का ट्रैकिंग शिप है, जिसको 29 सितंबर 2007 को सर्विस में शामिल किया गया था। Jiangnan Shipyard में इसको बनाया गया था।
पहले नहीं दी थी इजाजत
इस शिप को पहले 11 अगस्त को इस पोर्ट पर आना था, लेकिन भारत की नाराजगी के चलते श्रीलंका ने इसको लंगर डालने की इजाजत नहीं दी थी। भारत ने इसको मिली इजाजत के मद्देनजर श्रीलंका को अपनी नाराजगी कड़े शब्दों में फिर से बयां कर दी है। इसको देखते हुए श्रीलंका ने साफ कर दिया है कि इस पर मौजूद कर्मियों की अदलाबदली नहीं की जा सकेगी। इसके अलावा श्रीलंका में मौजूद चीन के दूतावास से भी इसको कोई मदद नहीं मिलेगी। श्रीलंका के टेलिकम्यूनिकेशन आथरिटी ने इस शिप को कम्यूनिकेशन इक्यूपमेंट के इस्तेमाल और फ्रिक्वेंसी के इस्तेमाल की इजाजत दी है।