भारत में बढ़ता खसरा का कहर

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नई दिल्ली, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पिछले साल करीब 4 करोड़ बच्चों को मीज़ल्स यानी खसरा के टीके की खुराक नहीं मिली। जबकि जुलाई में, यूएन ने बताया था कि 25 मिलियन बच्चे डिप्थीरिया सहित कई बीमारियों के खिलाफ नियमित टीकाकरण से चूक गए हैं, जिसके पीछे सबसे बड़ा कारण बड़े पैमाने पर कोरोना वायरस की वजह से नियमित स्वास्थ्य सेवाओं का बाधित होना रहा, जिससे वैक्सीन से जुड़ी गलत सूचना भी फैली।

खसरा सबसे संक्रामक मानव विषाणुओं में से एक है, जिससे वैक्सीन की मदद से पूरी तरह बचा जा सकता है। हालांकि, कम्यूनिटी ऑउटब्रेक से बचने के लिए 95 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगी होनी चाहिए। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, साल 2021 में विश्वभर में 90 लाख खसरा के संक्रमण थे, और इससे एक लाख 28 हज़ार मौते हुई थीं।

WHO और सीडीसी ने कहा, ” टीकाकरण में निरंतर गिरावट, कमज़ोर रोग निगरानी और कोविड-19 के कारण प्रतिक्रिया योजनाओं में देर, और 20 से अधिक देशों में चल रहे प्रकोप का मतलब है कि “दुनिया के हर क्षेत्र में खसरा बड़ा ख़तरा है।”

खसरा यानी मीज़ल्स काफी ख़तरनाक होता है, खासतौर पर शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए। खसरे की शुरुआत तेज़ बुखार, खांसी, नाक बहने और आंखों से पानी बहने और लाल होने से होती है। लक्षणों के शुरू होने के दो से तीन दिन बाद मुंह के अंदर सफेद रंग के स्पॉट्स आने लगते हैं। लक्षण शुरू होने के तीन से पांच दिनों के बाद बदन पर लाल चकत्ते होने शुरू हो जाते हैं। यह उभरे हुए नहीं होते और सबसे पहले चेहरे पर दिखते हैं, इसके बाद गर्दन, सीने, हाथों और पैरों पर फैल जाते हैं। कुछ चक्कते उभरे हुए भी हो सकते हैं।

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भारत में महाराष्ट्र, केरल, बिहार, गुजरात, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में मीज़ल्स के कई मामले सामने आए हैं। केंद्र ने राज्यों से संवेदनशील क्षेत्रों में 9 महीने से 5 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को खसरा और रूबेला के टीके की एक अतिरिक्त खुराक देने पर विचार करने को कहा है। मुंबई में इस साल खसरा के 233 मामले आए हैं। जबकि बुधवार को वहां खसरा के 13 नए मामले आए और एक बच्चे की मौत हुई। 30 नए खसरा के मरीज़ों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया।


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