चीन में नई बीमारी,कोरोना की तरह दुनिया आएगी चपेट में? WHO ने मांगी रिपोर्ट
नई दिल्ली। चीन में एक रहस्यमयी बीमारी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। बच्चे इसकी चपेट में हैं। इस विषय में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सवाल पूछे तो ड्रैगन ने दावा किया कि ऐसा नहीं है।
चीन एक बार फिर डरा रहा है। रहस्यमयी बीमारी का कहर बरपा है। विभिन्न सोर्स बता रहे हैं कि बच्चे प्रभावित हो रहे हैं जिसने पूरी दुनिया की टेंशन बढ़ा दी है। सुर्खियों में चीन में माइकोप्लाज्मा निमोनिया और इन्फ्लूएंजा फ्लू है। बढ़ते मामले पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने फिक्र जताई तो चीन ने तर्क दिया कि बात गलत है कि कोई भी असामान्य या नए पैथोजिन्स (रोग पैदा करने वाले ) डिटेक्ट किए गए हैं।
फिक्रमंद डब्ल्यूएचओ
नवंबर महीने की शुरुआत में चीनी एक्सपर्ट्स ने एक अलर्ट जारी किया था। आशंका जताई थी कि मौजूदा सर्दियों के मौसम के दौरान कोविड-19 संक्रमण फिर से बढ़ सकता है। साथ ही बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों को वैक्सीनेशन कराने के लिए कहा था। इसके बाद अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जिनेवा में एक बयान जारी कर कहा, हमने चीन से बच्चों में निमोनिया के ग्रुप्स की अतिरिक्त क्लीनिकल इंफोर्मेशन और टेस्ट रिजल्ट के बारे में जानकारी मांगी है।
चीन का जवाब
चीन ने इस मसले पर अपना तर्क दिया। कहा- आमतौर पर बढ़ती ठंड में ऐसा होता है, और विदेशों में कोविड 19 प्रतिबंधों को हटाने के बाद जैसा देखा गया उसके मुकाबले परिणाम हैरान नहीं करता है। डब्ल्यूएचओ ने आधिकारिक प्रेस रिलीज में कहा है- चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने रोग में किसी तरह के बदलाव से इनकार किया है। चीनी अधिकारियों ने ये भी दावा किया है कि बीजिंग और लियाओनिंग सहित किसी भी जगह असामान्य या नए रोगजनकों या मौजूदा लक्षणों का पता नहीं चला है, लेकिन कई पहले से मौजूद और ज्ञात रोगजनकों के कारण सांस संबंधी बीमारियों में सामान्य वृद्धि हुई है।
23 नवंबर को, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र और बीजिंग चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ टेलीकांफ्रेंसिंग की थी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिस डेटा की रिक्वेस्ट की गई थी वो दिया गया। जिससे संकेत मिलता है कि माइकोप्लाज्मा निमोनिया के कारण बाह्य रोगी परामर्श और बच्चों के अस्पताल में मरीजों की तादाद भी बढ़ रही है।
डब्ल्यूएचओ का एक्शन
डब्ल्यूएचओ के एक्शन में आने के कई मायने हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन कोई कोताही नहीं बरतना चाहता। क्योंकि 2019 में कोरोनावायरस के प्रकोप पर बीजिंग से समय पर रिपोर्ट तलब नहीं किए जाने पर सवाल उठाए गए थे। डब्ल्यूएचओ को आलोचना सहनी पड़ी थी। बाद में यह बीमारी पूरी दुनिया में फैली और लाखों लोगों की जान चली गई थी।