ॐ जय जगदीश हरे आरती,ॐ जय जगदीश हरे आरती
नई दिल्ली। ॐ जय जगदीश हरे आरती! यह आरती भगवान विष्णु की स्तुति है और इसे श्रद्धा और भक्ति से गाया जाता है। यह भगवान विष्णु की सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती है और इसे पं श्रद्धाराम फिल्लैर द्वारा साल 1870 में लिखी गई थी। ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।, भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे। ॐ जय जगदीश हरे…
ॐ जय जगदीश हरे आरती, भगवान विष्णु की।
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी। स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की जय… माता लक्ष्मी की जय…
आरती करने के बाद दीपक को पूरे घर में दिखाएं…