आराध्या बच्चन की याचिका पर कोर्ट ने कहा-‘हर बच्चे को सम्मान पाने का अधिकार’

आराध्या बच्चन की याचिका पर कोर्ट ने कहा-‘हर बच्चे को सम्मान पाने का अधिकार’
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दिल्ली | अमिताभ बच्चन की पोती और ऐश्वर्या राय व अभिषेक बच्चन की बेटी आराध्या बच्चन की एक याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने गूगल से लेकर यूट्यूब तक को सख्त चेतावनी देते हुए लिखित जवाब मांगा है। साथ ही अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 9 मई तय की है।

आराध्या ने उनके स्वास्थ्य और जीवन से संबंधित फर्जी समाचार की रिपोर्टिंग के लिए यूट्यूब टैब्लॉइड के खिलाफ याचिका दायर करते हुए इस तरह की रिपोर्टिंग करने से रोकने की मांग की है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने गूगल और यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आराध्या की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है।

कोर्ट में दी जा रहीं ये दलीलें
मामले की सुनवाई शुरू हुई तो न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने चैनल से कहा कि इस तरह के मामले से निपटने के लिए आपके पास नीति क्यों नहीं है।

अदालत ने यूट्यूब चैनल की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता से कहा कि आप सिर्फ जानकारी देने की सुविधा दे रहे हैं और आपको इसकी सच्चाई से कोई मतलब नहीं है।

यूट्यूब से पूछे ये सवाल

कोर्ट ने चैनल के अधिवक्ता से आगे कहा, क्या आपको इससे फायदा नहीं हो रहा है। क्या आप लोगों को मुफ्त में अपलोड करने दे रहे हैं? कोर्ट ने कहा, ये मानहानि का मामला नहीं है, ये गलत सूचना प्रसारित करने का मामला है। यूट्यूब एक फायदा लेने वाला प्लेटफॉर्म है और अगर आप इससे फायदा ले रहे हैं तो आप पर सामाजिक जिम्मेदारी भी है। कोर्ट ने कहा कि यूट्यूब की जीरो टॉलरेंस नीति में गड़बड़ है।

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आराध्या के वकील ने कहा-

आराध्या की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों के नियम 3(1)बी(3) का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम बिचौलियों द्वारा बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री के संबंध में समुचित सावधानी बरतने का प्रावधान करता है।

इस पर कोर्ट ने पूछा सवाल यह है कि हम क्या उचित प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि यूट्यूब कह रहा है कि हमें इन सब बातों की जानकारी नहीं है। यूट्यूब का कर्तव्य है कि आप नए नियमों के अनुरूप अपनी नीति में संशोधन करें। कोर्ट ने दयान कृष्णन से पूछा कि आप आज क्या चाहते हैं।

‘केवल प्रचार के लिए कुछ दुष्ट लोग कर रहे गलत प्रचार’

मामले में आदेश सुनाते हुए कोर्ट ने आराध्या बच्चन के मामले के तथ्यों से पता चलता है कि वादी को 11 साल की छोटी उम्र में ही उन बातों से गुजरना पड़ता है जिनका उल्लेख मुकदमे में किया गया है।

कोर्ट ने कहा कि वादी की शिकायत यह है कि वह मुंबई के एक स्कूल में पढ़ने वाली एक स्वस्थ स्कूली बच्ची हैं, लेकिन कुछ दुष्ट लोग केवल प्रचार के लिए कुछ समय से यूट्यूब पर यह कहते हुए वीडियो प्रसारित कर रहे हैं कि वादी गंभीर रूप से बीमार है। यहां तक ​​कि एक वीडियो में तो यह भी दावा किया गया कि वह अब नहीं रही।

कोर्ट ने कहा कि जाहिर तौर पर मॉर्फ्ड तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया गया है। इस तरह के वीडियो वादी के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश डिजिटल मीडिया नैतिकता) नियमों का उल्लंघन है।

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‘हर बच्चे को सम्मान पाने का अधिकार’

कोर्ट ने कहा कि सेलिब्रिटी से लेकर सामान्य बच्चे को सम्मान पाने का अधिकार है, विशेष रूप से बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में भ्रामक जानकारी का प्रसार कानून में पूरी तरह से असहनीय है।

कोर्ट ने कहा कि इस अदालत ने मामले से जुड़ी तस्वीरें और वीडियो क्लिप देखी हैं और यह पहली बार नहीं है कि इस तरह की भ्रामक जानकारी मशहूर हस्तियों के लिए प्रसारित की जाती है, लेकिन जब ऐसी जानकारी किसी बच्चे के संबंध में प्रसारित की जाती है तो यह ऐसा करने वालों की विकृति को दर्शाता है।

कोर्ट ने गूगल से पूछे ये सवाल

कोर्ट ने आगे कहा कि, प्रतिवादी 10 गूगल आईएनसी अपनी नीति को विस्तारित करे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह आईटी नियम 2021 के नियम 3(1)(b)के अनुपालन में है। अदालत ने पूछा कि आईटी नियमों में संशोधन के बाद गूगल ने अपनी नीति में कोई बदलाव किया है या नहीं और क्या यह आईटी नियमों में लाए गए संशोधनों के अनुरूप है।

कोर्ट ने कहा कि आईटी नियमों में संशोधन के तहत बिचौलियों से संबंधित संपूर्ण वैधानिक व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन करने के लिए गूगल बाध्य है। अंतरिम राहत देने के संबंध में विस्तार से चर्चा करने के बाद अदालत ने आदेश दिया कि यूट्यूब चैनल से लेकर सभी प्रतिवादी व उनके सहयोगी और उनकी ओर से काम करने वाले अन्य लोगों को वाद में दिए गए वीडियो को प्रसारित करने या आगे प्रसारित करने से रोका जाता है।

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आराध्या से जुड़ी हर सामग्री प्रसारण से प्रतिबंधित

कोर्ट ने आदेश दिया कि यूट्यूब से लेकर सभी प्रतिवादियों को वादी की शारीरिक स्थिति से जुड़े सभी वीडियो को प्रकाशित करने, अपलोड करने या प्रसारित करने से भी प्रतिबंधित किया गया है। अदालत ने कहा कि दूसरे शब्दों में प्रतिवादियों को वादी के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी किसी भी मंच पर प्रसारित करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है।

‘एक सप्ताह के अंदर प्रतिवादी आदेश का अनुपालन करें सुनिश्चित’

कोर्ट ने कहा कि वादी के शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित यूट्यूब प्लेटफार्म पर अपलोड किए गए किसी अन्य वीडियो की जानकारी गूगल की जानकारी में लाने पर इसे तुरंत हटाया जाएगा। हालांकि वादी को इसकी जानकारी अदालत को देनी होगी। अदालत ने कहा कि उक्त आदेश का अनुपालन आज से एक सप्ताह की अवधि के भीतर सुनिश्चित किया जाए।

कोर्ट ने इसके साथ ही मामले में सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर लिखित जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई नौ मई तक के लिए स्थगित कर दी।


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