बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के 5 विशेष नियम,इनके पालन से हमेशा बनी रहती है ज्ञान की देवी की कृपा

बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा के 5 विशेष नियम,इनके पालन से हमेशा बनी रहती है ज्ञान की देवी की कृपा
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नई दिल्ली। मां सरस्वती को ज्ञान, कला और रचनात्मकता की देवी माना जाता है। माता सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी सरस्वती को शारदा, ब्रह्माचारिणी और जगन्माता भी कहते हैं। विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को माता सरस्वती की पूजा विशेष रूप से करनी चाहिए। इसके साथ ही जो लोग लेखन, संगीत, कला जैसे कामों से जुड़े हैं उन्हें भी देवी सरस्वती की स्तुति अवश्य करनी चाहिए। देवी सरस्वती की पूजा करने के लिए बसंत पंचमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। पौराणिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को है इसलिए सरस्वती पूजा के विशेष नियमों को ध्यान में रखकर ही देवी सरस्वती की पूजा की जानी चाहिए।

सरस्वती पूजा का स्थान
माता सरस्वती के पूजन में इस बात का ध्यान रखें कि स्नान करने के बाद पूजा स्थान को गंगाजल से स्वच्छ और शुद्ध करें। इसके बाद माता सरस्वती की मूर्ति या फोटो को एक आसन लगाकर स्थापित करें। इसके बाद धूप, अगरबत्ती और दीपक जलाएं।

चढ़ाएं सफेद या पीले वस्त्र और चीजें
माता सरस्वती की पूजा में पीले और सफेद रंगों का बहुत महत्व है। माता सरस्वती को पीले या सफेद वस्त्र अर्पित करें। इसके साथ पीले, सफेद फूल और मिठाई भी अर्पित करें।

हल्दी या चंदन का तिलक
माता सरस्वती को हल्दी या चंदन का तिलक लगाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि माता सरस्वती बहुत ही सादे भाव की देवी है। उन्हें अत्यधिक श्रृंगार पसंद नहीं है और सफेद रंग की वस्तुएं ही उन्हें भाती हैं। देवी सरस्वती को तिलक लगाने के बाद फूलों की माला पहनाएं।

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माता सरस्वती के लिए मंत्रों का जाप करें
माता सरस्वती को नमन करने के लिए उनके दिव्य मंत्र “ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः, ॐ सरस्वत्यै नमः, ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्, ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः, ॐ श्री श्री महा सरस्वती देवी भगवती नमः” मंत्रों का जाप करें।

माता सरस्वती के पास रखें अपनी किताबें,कॉपी आदि
शिक्षा, संगीत, कला से जुड़ीं चीजों को भी पूजा स्थान पर रखकर सभी चीजों का तिलक लगाएं और माता सरस्वती को नमन करके कहें कि ‘हे माता सरस्वती! आप अपनी कृपा हमेशा बनाए रखना, जिससे कि हम अपनी शिक्षा और कला का प्रयोग करके उन्नति प्राप्त कर सकें। इसके बाद माता सरस्वती की आरती उतारें और अंत में मिठाई का भोग लगाएं। बसंत पंचमी पर आप शिक्षा, कला, संगीत से जुड़ीं चीजें दान भी कर सकते हैं।


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